आखिर होता क्या है ये bad touch...?
अगर ये सवाल किसी औरत या लड़की से पुछा जाए तो उसके पास जवाब जरूर होगा...। क्योंकि हम सभी औरतें अपनी जिंदगी में एक ना एक बार इस ओछी चीज को महसूस कर चुकी हैं...।
लेकिन ऐसा सिर्फ हम औरतों के साथ ही नहीं होता.... बहुत से मासूम बच्चें ( लड़कें) भी इस चीज को महसूस कर चुके हैं...।
इन सब का किसी के जीवन में क्या प्रभाव पड़ सकता हैं बस वो ही आप सभी के समक्ष रखने की कोशिश कर रहीं हूँ...।
इसी पर आधारित हैं मेरी ये कहानी....। कुछ सत्य घटनाओं पर आधारित किस्से हैं तो कुछ काल्पनिक मुद्दे भी हैं...। कुछ शब्द शायद कुछ पाठकों को अनुचित भी लगे...। मैं अपनी भाषा का पूरा ध्यान रखुंगी... आपसे भी सहयोग की उम्मीद करतीं हूँ...।
कहानी की शुरुआत करते हैं.... आशा से....।
उम्र दस साल...।
शहर :- जैसलमेर
राजस्थान....
कोमल:- हे भगवान इस लड़की का बुखार तो कम होने का नाम ही नहीं ले रहा...। भाभी आप देखो ना मुझे तो अब चिंता होने लगी हैं..।
हीरा:- अरे... चिंता मत कर... बच्चों को तो ऐसा होता रहता हैं..। बाहर गर्मी भी तो कितनी हैं.... सारा दिन गर्मी में भागदौड़ करतीं रहतीं हैं.... लू लग गई होगी...।
कोमल:- लेकिन भाभी दवाई से भी फायदा नही हो रहा हैं...। कल इसके पापा लेकर गए थे क्लिनिक...। बुखार कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा हैं...।
हीरा:- ठीक हैं.... शाम तक दवाई देकर देख.... फायदा नहीं हुआ तो ... बड़ी हास्पिटल चलते हैं...। अभी तु जा काम निपटा... तब तक मैं बैठती हूँ इसके पास..।
कोमल:- ठीक हैं भाभी.... शाम तक देखती हूँ...।
शाम होने को आई लेकिन बुखार कम नहीं हुआ..। अब घर पर सभी को आशा की चिंता होने लगी.. सारा दिन यहाँ से वहाँ फुदकने वाली... शौर शराबा करने वाली... चहकने वाली.... अगर ऐसे खामोश हो जाए तो चिंता होना स्वाभाविक हैं...।
आशा.... अपने मम्मी - पापा.... चाचा - चाची और उनके बेटे रोनक और अजित के साथ एक ही घर में रहतीं थीं..।
छोटी चाची और चाचा और उनका बेटा विकी उनके घर के पास ही अलग रहते थे...।
घर में एक ही बेटी होने की वजह से सबकी लाडली थीं...। ऊपर से उसका बातूनीपन सभी को बहुत पंसद आता था...। अजीब अजीब सवाल करना और जब तक जवाब ना मिले सामने वाले का जीना हराम कर देना..। अपनी मस्ती और बड़बोलेपन से वो सबका दिल जीत लेती थी...। इसलिए उसकी खामोशी सभी को खल रहीं थीं...।
आशा की आगे की कहानी जानते हैं अगले भाग में...।
जय श्री राम...।