बेड टच.....आखिर होता क्या हैं ये टच....
जब हम छोटे थे तो हमारे बड़े हमें समझाते थे... आज हम बड़े हुए हैं तो हम अपने बच्चों को समझाते हैं...।
जब कोई हमारे अंत: अंगों को हमारी इजाजत बिना छुए और हमें बुरा या गलत महसूस हो.... वो होता हैं बेड टच...।
हमें ऐसी छुअन से ऐसे लोगों से दूर रहना चाहिए...। लेकिन क्या सिर्फ दूर रहने से इस समस्या का समाधान हो जाएगा..?
एक बार सोच कर जरुर देखिएगा...।
बात सिर्फ़ इन चंद कहानियों तक ही नहीं सीमित नहीं हैं....। हम हर रोज़ अपने आस पास...ऐसे ना जाने कितने किस्से देखते हैं और सुनते हैं..। अगर मैं खुद सिर्फ अपनी आपबीती लिखने बैठूं तो शायद शब्द ही कम पड़ जाएंगे..।
घर से बाहर निकलते ही एक नज़र हमारे चारों ओर घुमने लगतीं हैं...। बस में चढ़ो तो वहाँ.... रिक्शा में बैठो तो वहाँ.... सड़क पर चलो तो वहाँ.. स्कूल हो या कालेज... पार्क हो मा मॉल.... हर जगह ऐसी घुरती हुई नजरें और मौका परस्त लोग ज्ञात लगाएं बैठे होते हैं..। कितनों से बचेंगें.... कब तक बचेंगें...।
समझाने को हम अपने बच्चों को समझाते हैं... की बेटा गुड टच और बेड टच में फर्क होता हैं...। उनकों उनसे संभलने के लिए कुछ कराटे स्कीलस भी सिखा देते हैं... कुछ छोटे अस्त्र भी थमा देते हैं...। क्यूँ.... क्योंकि हम ऐसे लोगों की सोच और नजरों को बदल नहीं सकते हैं...। हर नुक्कड़ पर आपको ऐसे लोगों का जमावड़ा मिल जाएगा...।
सच तो ये हैं की हम सब डरें हुए हैं ऐसे लोगों से...
हम अपनी बच्चियों को बचने के रास्ते बताती हैं.... लेकिन उनका सामना करने से डरती हैं....। हमारा डर जायज़ भी हैं क्योंकि ऐसे लोगों का क्या भरोसा... छोटी सी बात पर कब हैवानियत सवार हो जाए... झगड़े बहस में कही तेजाब छिड़क दिया तो... बलात्कार कर दिया तो... इज्जत तो हमारी जाएगी ना... जिंदगी तो हमारी जहन्नुम होगी ना... उनका क्या जाएगा..... कुछ नहीं... आज तक कुछ नहीं गया हैं तभी तो ऐसे लोगों को शय मिलतीं हैं...।
हमारा ये डर उनकों शय देता हैं...।
लेकिन सोचने वाली बात ये हैं की आखिर इन सब छेड़छाड़ से... छुने से गलत काम करने से उनकों मिलता क्या हैं... ऐसा कौनसा सुकून हैं जो उनकों इससे मिलता हैं...। मैं आज ये सवाल ऐसे ही लोगों से पुछती हूँ.... ऐसा क्या मिल जाता हैं..!
एक बात और ऐसे लोगों से कहना चाहती हूँ की एक बार अपने घर में अपनी माँ.... अपनी बहन....अपनी पत्नी... अपनी दादी... या अपनी किसी भी महीला रिश्तेदार से पुछे.... क्या उन्होंने कभी अपनी जिंदगी में ऐसे पल देखें हैं..? क्या उनके साथ कभी ऐसा कुछ हुआ हैं..? क्या वो ऐसी नजरों और छुअन को महसूस कर चुकी हैं..?
मैं इस कहानी के जरिये किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहती... ना ही किसी व्यक्ति विशेष पर उंगली उठा रहीं हूँ... मैं सिर्फ इतना कहना और समझाना चाहती हूँ की हम भी इंसान है.... हमें भी इस दुनिया में बेफिक्र होकर रहने का हक़ हैं.... हमसे हमारा हक़ मत छिनिए...।
उम्मीद करतीं हूँ ऐसे लोगों की सोच में शायद कुछ बदलाव आए...।
उम्मीद करतीं हूँ ऐसे अहसास को भुला कर सभी खुलकर सांस ले पाए..।
उम्मीद करतीं हूँ सभी ....लड़कें हो या लड़कियां जो भी इन चीजों से गुजर चुके हैं उनके आगे आने वाले बेहतर भविष्य की..।
जय श्री राम...।