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हार,जीत और सीख

22 जनवरी 2023

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मनुष्य का जीवन जन्म से सार्थक नहीं होता है,जन्म

के पश्चात् ही मनुष्य अपने जीवन को सार्थक करने

की ओर कदम बढ़ाता है।

जीवन को सार्थक करने के इस चक्र में मनुष्य कई

कठिनाइयों का सामना करता है, गिरता है संभलता है

सफ़लता प्राप्त करने के लिए मेहनत करता है।

जिस तरह एक पौधे को विकसित करने के लिए धूप,

जल और वायु की आवश्यकता होती है,

ठीक उसी प्रकार मनुष्य के जीवन को सार्थक करने में हार,जीत

और सीख तीनों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

इन तीनों के माध्यम से ही मनुष्य जीवन के असली

महत्व को समझता  है  और जीवन का अनुभव भी

उसे प्राप्त होता है।

हार का स्वाद भले ही कड़वा होता है

पर कमी कहां रह गई  इसका पता भी हमारी हार से लगता है

जीतने से पहले हारना भी ज़रूरी होता है,

क्योंकि हार के बाद

ही जीत का असली आनंद प्राप्त होता है।

सीखना मनुष्य के व्यक्तित्व को निखारता है

जो व्यक्ति सीखने में विश्वास रखता है उसका ज्ञान बढ़ता है

सीखने वाला व्यक्ति हार की  फिक्र नहीं करता बल्कि हार के बाद

भी उसका हौसला बुलंद रहता है।

जीवनपथ पर आगे बढ़कर कामयाबी की नई राह रचता है।

जिस तरह से जीवन जीने के लिए रोटी, कपड़ा, मकान

ये  तीन बुनियादी जरूरत होती है उसी तरह मनुष्य की

सफलता की राह में हार, जीत और सीख तीनों  का महत्व

होता है ।

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