क्या खूब अम्मा!
एक अज्ञात कवि की कविता जो मेरे दिल को छू गयी -
लेती नहीं दवाई अम्मा,
जोड़े पाई-पाई अम्मा ।
दुःख थे पर्वत, राई अम्मा
हारी नहीं लड़ाई अम्मा ।
इस दुनियां में सब मैले हैं
किस दुनियां से आई अम्मा ।
दुनिया के सब रिश्ते ठंडे
गरमागर्म रजाई अम्मा ।
जब भी कोई रिश्ता उधड़े
करती है तुरपाई अम्मा ।
बाबू जी