चिल्लाती रही द्रोपदी सभा मध्य, कोई क्यों नहीं कर रहा कुछ द्रोण, भीष्मपितामह थे क्यू एकदुम चुप कुलवधू का चीरहरण, क्या उन सबको ठीक लगा क्यो कोई बोला ना तब दुःशासन केश खींचने लगा क्या आर्यो की इ
चिल्लाती रही द्रोपदी सभा मध्य, कोई क्यों नहीं कर रहा कुछ द्रोण, भीष्मपितामह थे क्यू एकदुम चुप कुलवधू का चीरहरण, क्या उन सबको ठीक लगा क्यो कोई बोला ना तब दुःशासन केश खींचने लगा क्या आर्यो की इस
झूठा सम्मान पाने के लिए ,मैंने कभी चरित्र की इमारत नहीं खड़ी की; लोगों को दिखाने के लिए, मैंने कभी चरित्र की खांट नहीं बुनी;धन कमाने के लिए,मैंने