हास्य-व्यंग्य की रोचक यात्रा नाटक विधा के रूप में ....... आशान्वित हूँ कि आपको पसंद आएगा
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बहुत सुंदर लेखन सामाजिक तंत्र पर सटीक चोट आम आदमी की परेशानियों का बखूबी व्यंग्यात्मक लहजे में वर्णन पूरी कहानी में रोचकता बनी रही👍👌🙏
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[मैंने परम श्रद्धेय स्वर्गीय श्री हरिशंकर परसाईं के जन्म शती वर्ष में उनको श्रद्धांजलि स्वरुप उनकी कहानी भोलाराम का जीव पर ये नाटक लिखा है] (एक व्यक्ति मेज पर रखी डायरी पर कुछ लिख रहा है) सूत्रधा
सूत्रधार- प्रख्यात व्यंगकार श्रद्धेय श्री हरिशंकर परसाई जी की कृति भोलाराम का जीव तो आपने पढ़ा ही होगा । अगर नहीं पढ़ा तो इसी ऑफिस में हुआ नाट्यमंचन तो याद होगा। चलिये कोई बात नहीं हम संक्षिप्त में ब
अनवर मियाँ को भरोसा था कि एक न एक दिन उन्हें अलादीन का चिराग जरुर हासिल होगा। अपने भरोसे पर कायम अनवर मियाँ जिन्नों की बस्ती ढूँढ-ढूँढ कर थक चुके थे। ऐसा कोई कबाड़ का बाज़ार नहीं था जो उन्होंने इस चक्कर