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बारूद

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मक्खन की हंड़िया सिर पर रखकर धूप में नहीं चलना चाहिए। बारूद के ढ़ेर पर बैठकर आग का खेल नहीं खेलना चाहिए।। छोटा से पैबंद न लगाने पर बहुत बड़ा छिद्र बन जाता है। धारदार औजारों से खेलना खतरे से खाली नही

न वर्दी, न तिरंगा, यह तो खूनी कफ़न हैं ।वर्दी मे हसता खिलखिलाता मेरा सपूत दिखता हैं वह चेहरा मेरी आंखो मे चमकता हैं। उसकी बाजुओ मे लटकती बंदूक खिलौना लगती हैं। वह उस खिलौने से न खेल सका। वह उस पल को न समझ सका न खेल सका, अपनी पत्नी, माँ, बच्चों को छोड़ गया, रोने की किलकारी सब मे, लिपटे कफ़न तिरंगे मे

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