पर्दे भीडसने से लगते हैं। घर सेनिकली औरत,कोहरे मे काम के लिए।खूब कसीऊनी कपड़ो से,लटका बैग कंधो मे।इधर कोई न, उधर कोई, लिए गीत अधरों मे।देखअंधेरा चरो-ओर ले, कदमो को रफ्तार मे।वहगलियारो मे, अपनेपगचिन्हों को छोडती।झोड़, नाली-नाले ककरीली पथरीली सड़कोमे।खेत, रेत,सबपार किया शमशान की मुडेरों से।वह निकलीकोहरे