भाग–1
"दिशा जल्दी से तैयार हो जाओ, लड़के वाले बस आते ही होंगे", दिशा की मम्मी ने दिशा के कमरे में आते हुए कहा।
"जी मम्मी बस में तैयार ही होने वाली हूं", दिशा ने कहा।
"और हां, अपनी सबसे ऊंची वाली ऐड़ी की सैंडल पहनना", मम्मी ने वापस आते हुए कहा।
थोड़ी देर में दिशा की छोटी बहन स्नेहा भी वहां आ गई।
"वाह दीदी आप आज बहुत प्यारी लग रही हैं", स्नेहा ने दिशा को प्यार से देखते हुए कहा।
"प्यारी तो ये हमेशा लगती है बस लड़के वालों को समझ आ जाए", मम्मी ने लंबी सांस लेते हुए कहा।
"मम्मी इस बार दीदी का रिश्ता पक्का हो जाएगा, ऐसा मेरा मन कहता है", स्नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा।
"देखते है, तू चल मेरे साथ रसोई में आ, इसे तैयार होने दे", मम्मी ने कहा और स्नेहा के साथ दिशा के कमरे से बाहर निकल गई।
लड़के वाले आ गए थे। कुल मिलाकर पांच लोग थे। लड़का खुद, उसके मम्मी पापा और उसके मामा मामी।
स्नेहा उन लोगों के लिए पानी ले आई।
"ये कौन है?, बहन जी", लड़के की मां ने दिशा की मम्मी से पूछा।
"ये दिशा की छोटी बहन स्नेहा है", दिशा की मम्मी ने कहा।
"दिशा को बुलवा दीजिए", लड़के की मां ने कहा तो दिशा की मम्मी दिशा को लेने चली गई।
"दिलीप साहब बस एक बार लड़का लड़की एक दूसरे को पसंद कर लें तो हमारी तरफ से रिश्ता पक्का ही समझो", लड़के के पापा ने दिशा के पापा से कहा।
दिशा चाय ले कर वहां आ गई। दिशा ने आ कर सबको चाय पकड़ाई।
"आ जाओ बेटा मेरे पास बैठो", लड़के की मां ने सोफे पर थोड़ी जगह बनाते हुए हाथों से इशारा करते हुए कहा तो दिशा उनके पास जा कर बैठ गई।
"तो अभी क्या कर रही हो?", लड़के की मां ने दिशा से पूछा।
"जी मेरी B.Sc Nursing का फाइनल है", दिशा ने धीरे से कहा।
"खाना बनाना तो अच्छे से आता है ना?", लड़के की मामी ने पूछा।
"ये सभी कुछ बहुत अच्छे से बना लेती है", दिशा की मम्मी ने मुस्कुराते हुए कहा।
"बहन जी जरा लड़की को बोलने दीजिए", लड़के की मम्मी ने टोका तो दिशा की मम्मी चुप हो गईं।
"तो गाना बजाना कर लेती हो?", लड़के की मम्मी ने पूछा।
"जी मैं समझी नहीं?", दिशा ने नीचे गर्दन झुका कर पूछा।
"इनका मतलब ये है कि जो भजन और शादी वैगहरा में गाने और ढोलक बजाते है", लड़की की मामी ने समझाते हुए कहा।
"जी वो सब तो नहीं आता", दिशा ने अपनी मम्मी की तरफ देखते हुए कहा।
"इसे आता नहीं है लेकिन ये शादी से पहले पहले सब सीख लेगी", दिशा की मम्मी ने कहा।
"चलो ठीक है अब कुछ देर लड़का और लड़की को भी आपस में बात करने देते है", लड़के के पापा ने कहा तो स्नेहा उन दोनों को पास वाले कमरे में बैठा आई।
दोनों ही कुछ देर चुप बैठे रहे। फिर लड़के ने ही बात शुरू की।
"कैसी हो दिशा? मेरा नाम रितिक है", उस लड़के ने कहा।
"मैं अच्छी हूं, आप कैसे हैं?", दिशा ने धीरे से पूछा।
"में भी अच्छा हूं, दिशा आप अपना कोर्स पूरा करने के बाद क्या करेंगी जॉब या कुछ और?", उस लड़के रितिक ने पूछा।
"मन तो मेरा जॉब करने का ही है लेकिन आगे देखते हैं कि क्या होता है", दिशा ने धीरे से कहा।
"दिशा देखो मेरी मम्मी थोड़ी पुराने जमाने की हैं तो उन्हें ऐसे शादी के बाद लड़कियों का जॉब करना पसंद नहीं है", रितिक ने कहा।
"और इस बारे में आपका क्या सोचना है?", दिशा ने पूछा।
"देखो बुरा मत मानना लेकिन मेरी सोच भी मम्मी से अलग नहीं है", रितिक ने कहा।
"नहीं इसमें बुरा मानने वाली कोई बात नहीं है, सबकी सोच अलग अलग होती है", दिशा ने कहा।
"वैसे तुम मुझे पसंद हो", थोड़ा रुक कर रितिक ने कहा तो दिशा ने गर्दन नीची कर ली।
"क्या हुआ? तुम्हें मैं पसंद नहीं आया क्या?", रितिक ने पूछा।
"नहीं ऐसा नहीं है", दिशा के मुंह से तुरंत निकल गया और फिर वो एक दम से चुप हो गई तो रितिक के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई।
"तो अपने लाइफ पार्टनर से आप क्या उम्मीद रखती है?", रितिक ने पूछा।
"वहीं जो सभी रखते है, केयरिंग करने वाला हो, समझने वाला हो, साथ देने वाला हो….और आप?", दिशा ने पूछा।
"मैं भी यहीं उम्मीद रखता हूं", रितिक ने कहा।
"आप और कुछ पूछना चाहते हैं मुझसे?", थोड़ा रुक कर दिशा ने पूछा।
"नहीं बस, अब तो बातें होती ही रहेंगी, मैं बाहर सबसे मिल लेता हूं", रितिक ने कहा और फिर धीरे से उठ कर बाहर आ गया।
रितिक जैसे ही बाहर आया तो सबकी नज़रें रितिक की और उठ गईं। उसकी मम्मी ने इशारों में ही रितिक से उसकी सहमति पूछी तो उसने धीरे से अपनी गर्दन हां में हिलाई।
उधर दिशा की मम्मी दिशा को लेने के लिए उस कमरे में आ गई थी।
"क्या रहा? तुझे लड़का कैसा लगा?", उसकी मम्मी ने पूछा।
"ठीक है मम्मी", दिशा ने कहा।
"बस अब सब ठीक हो जाए, ये लड़का और उसके घरवाले हां बोल दें तो भगवान मैं अभी 51 रुपए का प्रसाद आपको चढ़ाऊंगी", दिशा की मम्मी ने हाथ जोड़ते हुए कहा और फिर दिशा को ले कर बाहर आ गईं।
"बधाई हो दिलीप साहब, लड़का और लड़की एक दूसरे को पसंद आ गए हैं", रितिक के पापा ने खुश होते हुए कहा।
"दिशा बेटा अब तुम अंदर जाओ", दिशा की मम्मी ने कहा तो वो सबको नमस्ते करके वहां से उठ गई। जाते हुए दिशा का उन ऊंची ऐड़ियों की सैंडल की वजह से हल्का सा पैर लड़खड़ा सा गया लेकिन उसने खुद को संभाल लिया और अन्दर चली गई। रितिक की मामी ने ये बात नोट कर ली थी।
रितिक की मामी ने धीरे से रितिक की मम्मी के कान में कुछ कहा।
"एक मिनट बहन जी जरा दिशा को बुला देंगी, वो क्या है ना कि हमें दोनों की एक फोटो लेनी है", रितिक की मम्मी ने कहा तो दिशा की मम्मी ने दिशा को बुला लिया।
"जरा तुम दोनों साथ में खड़े होना", रितिक की मम्मी ने रितिक और दिशा से कहा तो दोनों साथ में खड़े हो गए।
"अब जरा अपनी सैंडल निकाल कर खड़ी होना", रितिक की मम्मी ने कहा तो दिशा के मम्मी पापा दोनों का चेहरा सफेद पड़ गया। खुद दिशा भी घबरा गई।
दिशा ने घबराते हुए अपनी सैंडल उतारी और रितिक के साथ खड़ी हो गई।
"ये लो कर लो बात, मुझे पहले ही लग रहा था कि कुछ तो गड़बड़ है", रितिक की मामी बोली।
"जरा अपनी लड़की की लम्बाई तो देखो, सिर्फ चार फीट की होगी और हमारे रितिक की लम्बाई पूरी पांच फीट छह इंच है तो इस हिसाब से तो आपकी बेटी हमारे रितिक से कम से कम डेढ़ फीट छोटी है। माफ़ कीजियेगा बहन जी लेकिन इतनी लम्बाई पर हम ये रिश्ता नहीं कर सकते हैं", रितिक की मम्मी ने कहा और वहां से उठ गई।
"दिलीप साहब देखिए आपको लड़की की लम्बाई के बारे में झूठ नहीं बोलना चाहिए था, इतनी कम लम्बाई पर तो ये रिश्ता हो ही नहीं सकता", ये कह कर रितिक के पापा भी उठ गए।
दिशा ने रितिक की तरफ देखा तो उसका मूड भी खराब दिख रहा था।
"बहन जी मेरी बात तो सुनिए", दिशा की मम्मी ने कुछ कहना चाहा लेकिन वो लोग बिना कुछ सुने वहां से चले गए।
और दिशा फिर से चुपचाप उन लोगों को जाते हुए देखती रही। वैसे भी ये उसके साथ पहली बार नहीं हुआ था।