भाग–4
अगले दिन सुबह से ही दिशा के घर में तैयारियां शुरू हो गईं।
दिशा फिर से तैयार होने में लगी हुई थी।
"हर बार यहीं सब, मैं इन सब से ऊब गई हूँ, इस बार ये रिश्ता पक्का हो जाये तो मुझे शांति मिल जाये", दिशा ने खुद से कहा।
उधर लड़के वालों के यहाँ भी सभी लोग जाने के लिए तैयारियों में लगे हुए थे।
सचिन नाई के यहाँ जा कर बाल कटवा कर आ गया।
"अब बताइए पापा कि मैं कैसा लग रहा हूँ?", सचिन ने घर पर आ कर मुस्कुराते हुए अपने पापा से पूछा।
उसके पापा बस देख कर चुप ही रहे।
"मेरा सचिन कितना प्यारा लग रहा है, आज तो लड़की वाले देखते ही पसंद कर लेंगे", सचिन की मम्मी ने लाड जताते हुए कहा।
"ये सब लाड बात में जताना पहले जल्दी से तैयार हो जाओ नहीं तो हम वहाँ वक्त से नहीं पहुँच पाएंगे", सचिन के पापा ने कहा।
सब फिर तैयार होने चले गए।
सचिन ने आज अपने सबसे पसंदीदा कपड़े पहने थे।
सचिन के पापा सचिन की मम्मी के साथ जाने के लिए तैयार खड़े हुए सचिन का ही इंतजार कर रहे थे।
"देखो वहाँ ज्यादा फालतू मत बोलना, जब जरूरी हो तभी अपना मुंह खोलना", सचिन के पापा ने सचिन की मम्मी को समझाते हुए कहा।
"आप तो मुझे बिल्कुल ही बेवकूफ समझते हैं", सचिन की मम्मी ने मुंह बनाते हुए कहा।
“मैं तुम्हें बेवकूफ नहीं समझता लेकिन कभी कभी तुम बहुत ज्यादा फालतू बोल जाती हो”, सचिन के पापा ने कहा।
“अच्छा है कि मैं जाती ही नहीं, आप और सचिन चले जाओ”, सचिन की मम्मी ने मुंह सुजाते हुए कहा।
“बस तुमसे कुछ समझदारी की बात कर लो तो तुम चिढ़ जाती हो”, सचिन के पापा ने थोड़ा गुस्से में होते हुए कहा।
इतने में सचिन भी वहाँ आ गया।
उसे देख कर उसके पापा बिदक गए।
"तेरी ऐसी हरकतों की वजह से ही कोई लड़की तुझे पसंद नहीं करती", सचिन के पापा ने भड़कते हुए कहा।
"पापा अब क्या हो गया है?", सचिन ने मायूस होते हुए कहा।
"तूने ये शर्ट बाहर क्यों निकाल रखी है, हद होती है, वहाँ इस तरह से शर्ट बाहर निकाल कर जाएगा क्या? चल अब जल्दी से शर्ट अंदर कर और ये चश्मा भी हटा", सचिन के पापा ने डांटते हुए कहा तो सचिन चुपचाप शर्ट अंदर करने लगा।
फिर वो लोग गाड़ी से वहाँ के लिए निकल गए।
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दिशा तैयार हो कर अपने कमरे में ही बैठ कर फोन चलाने लगी।
स्नेहा भी वहाँ आ गई।
“दीदी आप कितनी प्यारी लग रही हो”, स्नेहा ने दिशा को देख कर मुस्कुरा कर कहा लेकिन दिशा ने स्नेहा की बातों पर ध्यान नहीं दिया।
“दीदी क्या हुआ है आपको? आप परेशान लग रही हो”, स्नेहा ने दिशा के पास आ कर पूछा।
“कुछ नहीं बस एग्जाम सिर पर आ गए हैं लेकिन मैं इन लड़के वालों के चक्कर में कुछ भी तैयारी नहीं कर पा रही हूँ, अब मैं थक गई हूँ, अब या तो रिश्ता पक्का हो जाये और या फिर मुझे कुछ दिनों के लिए इन सब चीजों से छुटकारा मिल जाए”, दिशा ने परेशान हो कर कहा।
“दीदी आप बिल्कुल भी परेशान ना होइए सब ठीक हो जाएगा”, स्नेहा ने कहा।
“I hope so”, दिशा ने थोड़ा मायूस हो कर कहा।
थोड़ी देर में दिशा की मम्मी और बुआ भी वहाँ आ गई।
“दिशा ये लो, ये वाली सैन्डल पहनना आज, पूरी दस दुकानों में घूम कर तब ये सबसे ऊंची ऐड़ी वाली सैन्डल मिली है”, दिशा की मम्मी ने दिशा को सैन्डल देते हुए कहा।
“ठीक है मम्मी”, दिशा ने धीरे से गर्दन झुका कर कहा।
“दिशा बेटा क्या हुआ? देखो मायूस होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है, इस बार मुझे पूरी उम्मीद है कि तुम्हारा रिश्ता जरूर पक्का हो जाएगा”, दिशा की बुआ ने दिशा से कहा।
तभी दरवाजे पर बेल बजने लगी।
“लगता है कि वो लोग आ गए हैं, तुम इतना दिशा के पापा को फोन कर दो तो वो भी आ जाएंगे, मैं इतना नीचे जा कर देखती हूँ”, दिशा की बुआ ने कहा और दरवाजा खोलने चली गई।
दिशा की बुआ ने जब दरवाजा खोल कर देखा तो सामने ही लड़के वाले खड़े थे।
“नमस्कार भाई साहब, आ जाइए अंदर आ जाइए”, दिशा की बुआ ने कहा।
“नमस्कार बहन जी, कैसी हैं आप?”, सचिन के पापा ने उनके घर में आते हुए पूछा।
“मैं अच्छी हूँ, आप लोग बैठिए”, दिशा की बुआ ने सोफ़े की तरफ इशारा करते हुए कहा।
पीछे से दिशा के पापा भी वहाँ आ गए।
दिशा की बुआ ने दिशा को देखा तो उनके पास आ गई।
“ये हैं मेरे भाई और दिशा के पापा दिलीप और ये हैं राजेश भाई साहब”, दिशा की बुआ ने दोनों का परिचय कराते हुए कहा।
“आपसे मिल कर बहुत खुशी हुई”, दिशा के पापा ने सचिन के पापा से हाथ मिला कर मुस्कुराते हुए कहा।
दिशा की मम्मी भी वहाँ सबके लिए पानी ले कर आ गईं।
“बहन जी ये सब तो होता रहेगा बस आप लड़की को बुलवा दीजिए”, सचिन की मम्मी ने कहा तो सचिन के पापा ने उन्हें घूर कर देखा।
“मैं दिशा को ले कर आती हूँ”, दिशा की मम्मी ने कहा और फिर दिशा के कमरे की तरफ चली गई।
“चलो बेटा वो लोग तुमसे मिलना चाहते हैं”, दिशा की मम्मी ने दिशा के कमरे में आ कर कहा और दिशा एक लंबी सांस ले कर उनके साथ चली गई।
दिशा जब उन लोगों के सामने आई तो दिशा की बुआ लपक कर खड़ी हो गईं और दिशा के पास पहुंच गई।
“ये है मेरी भतीजी दिशा”, दिशा की बुआ ने दिशा का परिचय कराते हुए कहा।
दिशा ने सचिन के मम्मी पापा को नमस्ते की।
“जीती रहो बेटी”, सचिन के पापा ने मुस्कुराते हुए कहा।
दिशा की बुआ ने दिशा को वहीं उनके पास में ही बैठा दिया।
“तो दिशा बेटा इन दिनों आप क्या कर रही हो?”, सचिन के पापा ने पूछा।
“मैं इन दिनों B.Sc Nursing से कर रही हूँ बस अब मेरा कोर्स फाइनल हो जाएगा”, दिशा ने धीरे से कहा तो सचिन के पापा ने सिर हिलाया।
“तुम खाना वगैरा और घर के काम तो अच्छे से कर ही लेती होंगी?”, सचिन की मम्मी ने पूछा।
“ये सब अच्छे से कर लेती है चाहे घर का कोई भी काम हो”, दिशा की बुआ ने कहा।
“ये तो बहुत ही अच्छी बात है वैसे भी आज कल के बच्चे घर के काम में इतना ध्यान कहाँ देते हैं, दिन भर फोन पर ही लगे रहते हैं, अब हमारा सचिन ही देख लो, काम के बाद हर वक्त फोन पर ही लगा रहता है वो छोटी छोटी विडिओ नहीं आती बस वो ही देखता रहता है”, सचिन की मम्मी ने मुस्कुराते हुए कहा।
दिशा की मम्मी और दिशा की बुआ ने एक दूसरे को थोड़ा अजीब नज़रों से देखा।
“तुमने फिर से फालतू बोलना शुरू कर दिया”, सचिन के पापा ने उसकी मम्मी को धीरे से टोका और फिर खुद बात को संभालने की कोशिश करने लगे।