विश्वधरोहर विश्वधरोहर यूं ही नहीं कहलाता कोई खजुराहो । जो स्थल है महत्वपूर्ण धरा का यूं ही नहीं महत्वपूर्ण कहलाता है । जब आप व्यतीत करेंगे कोई एक सांझ धरा के इस भूभाग में । स्वच्छंद स्वतंत्र निर्विकार आप प्रत्यक्ष अनुभव कर सकेंगे अनुभूतियां एक गणिका को । सांध्य वेला में उसके पदचालन को उसके गंतव्य की ओर वापसी को । उसके हाव भावों उसके रूप सौंदर्य उसके मनोभावों को जो प्रस्तुति है । प्रकृति संग एकाकार प्रतिरूप है प्रकृति सहज , सरल , सुरम्य सुंदर संस्कृति स्वरूप ।। - हितेंद्र कुमार श्रीवास सहायक शिक्षक (एल.बी.) 9131220469 (CALLING) 9303034345 (W.A.)