घास के तिनके जो थे बेकारकिसी को न थी उनकी दरकारएक चिड़िया के हुनर नेउनको घोंसला बना दिया।बिखरी पड़ी थीं टहनियाँतब तक उनका कोई बजूद न थाएक हुनरमंद के हुनर नेउनसे झोपड़ा बना दिया।कटी पड़ी कतरनें दुकान मेंकि
तेरे शहर से वो जल्दी ऊब गया, चकाचौंध से जी घबराया होगा। कोई उसने डाक्टरी इलाज नही की, पीपल की छाँव याद आया होगा। पूरे बच्चे में सीख दिखाई नहीं देती, चावल के एक ही दाने से
थोड़ा अधूरा है।सूरज निकला एक नई सुबह के लिए, चाँद रहा रात में ठंडक के लिए।नीले आसमान में तारे चमके खुद की सुंदरता दिखाने के लिए।नदियाँ बहती है इंसान संग धरती की प्यास बुझाने के लिए।विडम्बना है समाज के लिए यह राज नेता बने कीसके लिए।आत्मनिर्भर बनना आत्मसमान के लिए गोली खाई फाँसी खाई भारत की शान के लिए।
सौंदर्य भी मुस्का कर शरमाये ऐसी उसकी मूरत है ....I हुस्न हुनर दोनों हैं उसमें ऐसी मनभावन मूरत है .....II चंदा अपनी छोड़ चांदनी रात रात भर घूरत है .....I तस्वीर है अंकित सीने मे