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ख्वाहिशों की मौत (भाग-1)

16 नवम्बर 2021

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टिकट.......... टिकट है..............अरे बाबू हम पूछ रहे हैं कि टिकट है क्या???????? हम पूछ रहे हैं ना..............अगर है तो दिखा दो एहसान होगा.........
               दिखने पर लगते तो नवाबी हो, क्या नए-नए अफसर बने हो या पहले से ही.............
                          उनके शब्द सुनकर अचानक हकबका कर हां......हां........है............ मेरे पास........
                 बस इतना कहकर टिकट जेब से निकाला और दिखा कर तुरंत जेब में रख लिया, जैसे कोई अनमोल खजाना हो। 
उसकी तत्परता देखकर टी.सी.भी हैरान था, लेकिन अपनी व्यवस्था के कारण कुछ बोल नहीं पाया और चला गया।
                  तभी सामने की सीट वाला जैसे कुछ भापने की कोशिश कर रहा हो। कहां तक जाओगे??
             पता नहीं के जवाब में सुनकर उसने फिर से दोहराया... बता भी दो बेटा..... "बेटा" शब्द सुनकर वो थोड़ा भावुक हुआ, और राजस्थान बोलकर...... पुनः ट्रेन के बाहर खिड़की से झांकने लगा, जैसे उसकी आंखें किसी अदृश्य को तलाश रही हो। और खुले आसमान में उस तस्वीर को उकेर देना चाहती हो। 

                   आंखों से बहते हुए आंसू ऐसे लगते हैं। जैसे क्षीर सागर की लहरें खुद इस तस्वीर में स्याही की भूमिका निभाने को तत्पर हो, लेकिन अफसोस हर बार निराशा ही हाथ लगती है। 
          वह बेचारा बहुत परेशान था। ऐसा लगता था जैसे रेगिस्तान में वह एकमात्र पेड़ गर्म हवाओं के झोंकों के बीच तप हो रहा हो।                    
               ट्रेन का शोरगुल, पक्षियों की आवाज, खड़खडाहट की ध्वनि, सब कुछ बेकार.......................
                उसके दिमाग में रह-रह कर एक ही शब्द गूंजता था।
         सर क्या बड़े लोगों के भी पिता मरते हैं.... यकीन नहीं होता माफ करिएगा। वे खुद बोल कर गए थे कि बेटा बड़ों के बाप नहीं होते। यकीन ना हो तो मेरे जाने के बाद दिनेश से पूछ लेना.........

क्रमशः ..................................
Parth

Parth

Wah khub

5 फरवरी 2022

chetan choure

chetan choure

Atyant khoobsurat lekh

5 फरवरी 2022

वणिका दुबे "जिज्जी"

वणिका दुबे "जिज्जी"

बेहतरीन शुरुआत

1 दिसम्बर 2021

Archika Harode

Archika Harode

Nice part..

18 नवम्बर 2021

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Behtreen likha aapne 👏👏👏👏👏

16 नवम्बर 2021

15
रचनाएँ
ख्वाहिशों की मौत
5.0
यह मेरी पहली कहानी मैं आशा करती हूं कि आप लोगों को पसंद आए। इस कहानी में माता और पिता का वात्सल्य प्रेम अपने बेटे के प्रति है। इस कहानी में मिलना, बिछड़ना, प्यार, नाराजगी, खुशी सब मौजूद है। इस कहानी में पिता अपने बेटे को लिखाता, पढ़ाता है और उसे अफ़सर बनाता, लेकिन वह नहीं चाहता था कि उसका बेटा यह नौकरी करें। वह कुछ दूसरी नौकरी अपने बेटे के लिए चाहते थे।
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