विजय की शिद्दत से अवनी के दिल में भी प्यार का अंकुर फूटने लगा था। विजय का उसको देखना उसे भाने लगा था। जिस दिन विजय नहीं दिखता था उस दिन अवनी बेचैन हो जाती थी और रेखा से घुमाफिरा कर विजय के बारे में पूछती थी।
विजय ने भी अवनी का ये लगाव भांप लिया था। रेखा ने भी विजय को अवनी की बेचैनी के बारे में बताया था।
विजय ने तय किया कि अब वो अपने प्यार का इज़हार अवनी से कर के रहेगा। अब विजय से अवनी को दूर से देखते भर रहना सहन नहीं हो रहा था।
अब वो अवनी से दूर नहीं रह सकता था। उसने सोच लिया था कि अवनी इनकार करे या इकरार वो इज़हार जरूर करेगा।
आज विजय टाइम से काफी पहले कॉलेज पहुंच गया था। वो आकर कॉलेज के गेट पर खड़ा हो गया और अवनी का इंतजार करने लगा।
अवनी के इंतजार में उसका एक एक पल बरसों की तरह कट रहा था।
" अभी तक क्यों नहीं आई ? आज आएगी कि नहीं ? नहीं आई तो ? नहीं नहीं वो जरूर आएगी। वो कॉलेज कभी मिस नहीं करती। वो जरूर आएगी। " विजय के ज़हन में सकारात्मक और नकारात्मक विचारों की अजीब सी कशमकश चल रही थी।
दूर से स्कूटी पर आने वाली हर लड़की उसे अवनी लगती थी। उसका दिल जोर से धड़कने लगता था लेकिन जब वो लड़की पास आती थी तो ये देखकर कि वो अवनी नहीं है उसका दिल बैठ जाता था।
तभी विजय का ख़ास दोस्त मनोज आया और उसको पहले से कॉलेज के गेट पर खड़ा देखकर व्यंग्य भरे स्वर में हंसते हुए बोला,
" आज सूरज पश्चिम से निकला क्या ? महान विजय जी महाराज जल्दी कॉलेज में पधारे हैं। "
" चल जा यहां से ! दिमाग मत खराब कर ! आज मजाक के मूड में नहीं हूं। " विजय ने मनोज को डपटा।
मनोज उसके पास ही रुक गया।
" क्या बात है विजय ? इतना सीरियस क्यों है ? " मनोज ने थोड़ा गंभीर होकर पूंछा।
" भाई ! आज अवनी को प्रपोज करने वाला हूं। उसी का इंतजार कर रहा हूं।" विजय ने धीरे से बताया।
" ब्रेवो ! हमारा छोटू सा विजय जवान हो गया ! " मनोज ने फिर मजाकिया अंदाज में लगभग चिल्लाकर कहा।
" बोला न ! मजाक नहीं ! " विजय ने उसको टोकते हुए धीरे से एक मुक्का मारा।
मनोज हंसते हुए पीछे हटा।
" ओके ! ओके ! सॉरी ! " मनोज ने सीरियस होते हुए कहा।
" यार ! मेरा दिल बैठा जा रहा है, कहीं उसने मना कर दिया तो ? " विजय ने शंका जाहिर की।
" नहीं करेगी ! तूने ही तो बताया न कि वो भी तुझको देखती है। " मनोज ने उसका हौसला बढ़ाया।
" देखना इज डिफरेंट यार ! इट डजन्ट मीन दैट शी लव्स मी टू। " विजय अभी भी असमंजस में था।
" करती ही होगी ! तू कॉलेज का हीरो है। कई लड़कियां मरती हैं तुझ पर। वो इनकार कर ही नहीं सकती। " मनोज ने विजय के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
" लैट्स होप दैट यू आर राइट। " विजय ने गहरी सांस लेते हुए बोला और फिर रोड की तरफ़ देखने लगा।
मनोज ने विजय को इतना नर्वस कभी नहीं देखा था। वो एकदम बेफ़िक्र किस्म का लड़का था। मस्ती करने में पूरे कॉलेज में उसका कोई सानी नहीं था।
तभी स्कूटी पर अवनी आती दिखी। विजय और नर्वस होने लगा। उसका दिल इतनी जोर से धड़कने लगा जैसे सीना तोड़कर बाहर आना चाहता हो।
मनोज उसकी हालत को समझ गया और उसने विजय के कंधे पर हाथ रखकर कंधा थपथपाया। विजय ने मनोज की तरफ़ देखा तो मनोज ने हां में सिर हिलाकर उसे आगे बढ़ने को कहा।
विजय ने गहरी सांस ली और अवनी की स्कूटी के रास्ते में खड़ा हो गया।
अवनी ने स्कूटी रोकी और प्रश्नवाचक नजरों से विजय को घूरकर देखा।
" अवनी सुनो ! तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। मुझे तुमसे प्यार हो गया है। मुझसे फ्रेंडशिप करोगी ? रियली आई लव यू टू मच यार ! " विजय ने बिना कॉमा, फुलस्टॉप लिए एक सांस में कहा।
अवनी ने भरपूर नज़रों से विजय को देखा।
" मुझे कोई अफेयर वफेयर में नहीं पड़ना। मुझे इस सब में कोई इंट्रेस्ट नहीं है। मैं यहां पढ़ने आई हूं ये सब करने के लिए नहीं। " अवनी ने सपाट शब्दों में जवाब दिया।
विजय की धड़कन रुकने लगी। अवनी से उसे इतने साफ़ तौर पर इनकार की उम्मीद नहीं थी। उसका चेहरा उतर गया।
अवनी ने इतना कहकर स्कूटी आगे बढ़ा दी।
" देख लेना यार ! एक बार सोच लेना मेरे लिए ! " विजय ने गेट से कॉलेज बिल्डिंग की तरफ़ जाती हुई अवनी को पीछे से चिल्लाकर कहा।
अवनी का दिल किया कि रुक जाए और पलटकर उससे इस बारे में एक बार बात कर ले और हां कह दे लेकिन उसके दिमाग ने उसे रोक दिया।
**** क्या अवनी ने दिल की बात सुनी या दिमाग का कहना माना ? विजय ने आगे क्या किया ? जानेंगे अगले भाग में ****