विरह गीत"प्राण तुम बिन"
प्राण प्रिय को समर्पित...... प्राण तुम बिन निकलते नहीं देह सेऔर तुम बिन न संभव मेरा जीवन..बिन तुम्हारे गुजारे हैं सावन कईआँसुओं से रहे भीगे दोनों नयन..प्राण तुम बिन....तन की तो दशा है बिगड़ी हुईपर मन को मिलन की आशा है तुझसे ही जुड़ी हर इच्छा मेरी तू जीवन की महती पिपासा हैदिन