shabd-logo

common.aboutWriter

इन्द्र आगरावासी साहित्य सेवक ।.हिंदी पुत्र

no-certificate
common.noAwardFound

common.kelekh

विरह गीत"प्राण तुम बिन"

15 सितम्बर 2015
6
2

प्राण प्रिय को समर्पित...... प्राण तुम बिन निकलते नहीं देह सेऔर तुम बिन न संभव मेरा जीवन..बिन तुम्हारे गुजारे हैं सावन कईआँसुओं से रहे भीगे दोनों नयन..प्राण तुम बिन....तन की तो दशा है बिगड़ी हुईपर मन को मिलन की आशा है तुझसे ही जुड़ी हर इच्छा मेरी तू जीवन की महती पिपासा हैदिन

विरह गीत"प्राण तुम बिन"

15 सितम्बर 2015
3
0

प्राण प्रिय को समर्पित...... प्राण तुम बिन निकलते नहीं देह सेऔर तुम बिन न संभव मेरा जीवन..बिन तुम्हारे गुजारे हैं सावन कईआँसुओं से रहे भीगे दोनों नयन..प्राण तुम बिन....तन की तो दशा है बिगड़ी हुईपर मन को मिलन की आशा है तुझसे ही जुड़ी हर इच्छा मेरी तू जीवन की महती पिपासा हैदिन

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए