अगला साल आया, और मनाली की घाटी फिर से वही ठंडी हवाओं और गुलाबी आभा से भर गई थी। प्रभात और अरुणिमा दोनों ही अपने-अपने जीवन में कुछ बदलावों से गुजर चुके थे, लेकिन एक वादा, जो उन्होंने एक साल पहले किया थ
सर्दी आई गर्म दिन की हो रही विदाई ठंडे मौसम की ऋतु आई, गर्म लबादे कम्बल रजाई निकालो बाहर सब भाई। डंडी हवा और गुलाबी आभा सुबह सुबह से है टकराई, कहीं दूर भी नजराने कोहरा पास यह पत्ती प
सर्दी की उस सुबह मनाली की वादियां अपनी सबसे खूबसूरत शक्ल में थीं। आसमान हल्के गुलाबी रंग से रंगा हुआ था, जैसे सूरज अपनी पहली किरणों से रात के अंधेरे को धीरे-धीरे सहला रहा हो। बर्फ से ढके पहाड़ अपनी मौ