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इश्क़

27 अक्टूबर 2015

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कहती  है दुनिया इश्क़ आग है , जो बुझे न बुझाए 

पर इश्क़ सबा का झोंका है जो रूह को सुकून दिलाये 

इश्क़ तो शीतल पानी है जो  जन्मों की प्यास मिटाये 


कहती है दुनिया इश्क़ आग का दरिया  है और डूब के जाना  है

पर इश्क़  को  शांत नदिया  है जिसमे तैरके पार उतरना है 

इश्क़ तो  बहता झरना है , जिसकी कलकल में चित्त शांत करना  है 


कहती  है दुनिया इश्क़ वो मर्ज़  है जो सिर्फ दर्द  देता  है 

par इश्क़ तो रूहानी मरहम है , जो सब जख्मो को हर लेता  है 

इश्क़ तो अमृत जैसा है , जो सदियों के नासूर भी भर देता है  


कहती है दुनिया इश्क़ ने किसको पार लगाया है 

अजी इश्क़ तो वो सफीना है जिसने खुदा तक जा पहुँचाया  है 

इश्क़ तो वो रौशनी  है जिसने जन्नत का राह दिखाया  है 


कहती है दुनिया की इश्क़ मंज़िल बड़ी दूर है 

पर इश्क़ हमारे  अंदर है , इश्क़ खुदा का नूर  है 

इश्क़ तो खुदाई है , इश्क़ ख़ुदा    का नूर है 
विजय कुमार शर्मा

विजय कुमार शर्मा

बिल्कुल सटीक संधू जी अगर इश्क का सही रास्ता अपनाया जाए तो इसके फायदे ही फायदे हैं

27 अक्टूबर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

'कहती है दुनिया की इश्क़ मंज़िल बड़ी दूर है पर इश्क़ हमारे अंदर है , इश्क़ खुदा का नूर है'............. बहुत खूब, लवदीप जी !

27 अक्टूबर 2015

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शायद यही इश्क़ है

19 अक्टूबर 2015
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शायद यही इश्क़ है, शायद यही प्यार हैजब एक अंजाना अपना लगता हैफिर ख़ूबसूरत हर सपना लगता हैवो इक नाम शाम सवेरे जपना लगता हैशायद यही इश्क़ हैशायद यही प्यार हैजब दिल तेज़ धड़कता हैइक नज़र दीद को तरसता हैहो दीदार, तो ख़ुशियो  का सावन बरसता हैशायद यही इश्क़ है शायद यही प्यार हैहै म‘आलूम कि वो तेरा हो सकता

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यादें

20 अक्टूबर 2015
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 लोग आते है चले  जाते है बस दिल  पर एक छाप  छोड़ जाते  है ज़िंदा रहने  को बस अपनी यादें दे जाते  है हर घडी उनके साथ बीते  हुए पल याद  आते  है उनके करीब न होने के ख्याल अंदर ही अंदर तोड जाते  हैजीते जी वो रिश्ता ही ऐसा जोड़ जाते  है जाने क्यों खुदा को अच्छे लोग  ही सुहाते  है क्यों बुरे लोगो  वो नही ले

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इश्क़

27 अक्टूबर 2015
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कहती  है दुनिया इश्क़ आग है , जो बुझे न बुझाए पर इश्क़ सबा का झोंका है जो रूह को सुकून दिलाये इश्क़ तो शीतल पानी है जो  जन्मों की प्यास मिटाये कहती है दुनिया इश्क़ आग का दरिया  है और डूब के जाना  हैपर इश्क़  को  शांत नदिया  है जिसमे तैरके पार उतरना है इश्क़ तो  बहता झरना है , जिसकी कलकल में चित्त शांत करन

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