कहती है दुनिया इश्क़ आग है , जो बुझे न बुझाए
पर इश्क़ सबा का झोंका है जो रूह को सुकून दिलाये
इश्क़ तो शीतल पानी है जो जन्मों की प्यास मिटाये
कहती है दुनिया इश्क़ आग का दरिया है और डूब के जाना है
पर इश्क़ को शांत नदिया है जिसमे तैरके पार उतरना है
इश्क़ तो बहता झरना है , जिसकी कलकल में चित्त शांत करना है
कहती है दुनिया इश्क़ वो मर्ज़ है जो सिर्फ दर्द देता है
par इश्क़ तो रूहानी मरहम है , जो सब जख्मो को हर लेता है
इश्क़ तो अमृत जैसा है , जो सदियों के नासूर भी भर देता है
कहती है दुनिया इश्क़ ने किसको पार लगाया है
अजी इश्क़ तो वो सफीना है जिसने खुदा तक जा पहुँचाया है
इश्क़ तो वो रौशनी है जिसने जन्नत का राह दिखाया है
कहती है दुनिया की इश्क़ मंज़िल बड़ी दूर है
पर इश्क़ हमारे अंदर है , इश्क़ खुदा का नूर है
इश्क़ तो खुदाई है , इश्क़ ख़ुदा का नूर है