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jan

लिली सराठे

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जिंदगी यू ही चलती रही लम्हा - लम्हा,कि अचानक से तुम आये हँसते रहे खिलखिलाते रहे ,यूँ हर ख्वाब को संजोते रहे ,तेरा - आना तेरा - जाना , हर पल को यू ही देखते रहे, यू हुआ की कोई आरजू न रही ,पलकों से बस एकटक देखते रहे ,वो लम्हा भी आया जब तुम हम से रुखसत हो लिए ,कुछ कह न सके बस आँखों के किनारे भिगोते रहे , याद करके जान निकल जाती है, ए - ख़ुदा ऐसा दिन कभी किसी को न मिले|  

jan

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