shabd-logo

जन्नत

hindi articles, stories and books related to jannat


featured image

तुंज सोचा हुन गीत जन्नत 2 (2012): यह इमरान हाश्मी अभिनीत जन्नत 2 का एक प्यारा गीत है, ईशा गुप्ता और रणदीप हुड्डा। यह Kay Kay द्वारा गाया जाता है और प्रीतम चक्रवर्ती द्वारा रचित है।जन्नत २ (Jannat 2 )तुझे सोचता हूँ की लिरिक्स (Lyrics Of Tujhe Sochta Hoon )तुझे सोचता हूँ मैं शाम-ो-सुबहइस-से ज़्यादा

featured image

इमरान हाश्मी और ईशा गुप्ता अभिनीत जन्नत 2 2008 की हिट हिंदी फिल्म जन्नत की अगली कड़ी है। महेश भट्ट और मुकेश भट्ट ने इस फिल्म का निर्माण किया है जिसे कुणाल देशमुख द्वारा निर्देशित किया गया है। इस फिल्म के साउंडट्रैक प्रीतम चक्रवर्ती द्वारा रचित हैं। सईद क्वाद्री, संजय मसूम और मयूर पुरी ने गाने और विभ

featured image

फिल्म जन्नत (2008) से हन तु है गीत। यह गीत Kay Kay द्वारा गाया जाता है जबकि इसका संगीत प्रीतम चक्रवर्ती द्वारा रचित है और गीत सईद क्वाद्री द्वारा लिखे गए हैं।जन्नत (Jannat )हाँ तू है की लिरिक्स (Lyrics Of Haan Tu Hai )जो ख्वाबों ख्यालों में सोचा नहीं थातूने मुझे इतना प्यार दियामैं जब भी जहां भीक

featured image

चार डिनो का प्यार ओ रब्बा (मादा) फिल्म जन्नत से गीत उत्कृष्टता से रिचा शर्मा द्वारा गाया जाता है। प्रीतम चक्रवर्ती ने इसे लिखा है और सईद क्वाद्री ने अपने गीत लिखे हैं।जन्नत (Jannat )चार दिनों का प्यार ओ रब्बा (फीमेल) की लिरिक्स (Lyrics Of Char Dino Ka Pyaar O Rabba (Female) )चार दिनों का प्यार ओ

featured image

जरा सी दिल मी दे जगह तु गीत जन्नत से हैं सईद क्वाद्री द्वारा लिखे गए हैं। यह प्रीतम चक्रवर्ती द्वारा रचित एक सुंदर गीत है और के Kay द्वारा खूबसूरती से गाया गया है।जन्नत (Jannat )ज़रा सी दिल में दे जगह तू की लिरिक्स (Lyrics Of Zara Si Dil Mein De Jagah Tu )ज़रा सी दिल में दे जगह तूज़रा सा अपना ले बन

featured image

'जन्नत' 2008 की एक हिंदी फिल्म है जिसमें इमरान हाश्मी, समीर कोचर, सोनल चौहान, विशाल मल्होत्रा, जावेद शेख, विपिन शर्मा और अभिमन्यू शेखर सिंह प्रमुख भूमिका निभाते हैं। हमारे पास जन्नत के 3 गाने हैं और गीत हैं। प्रीतम चक्रवर्ती ने अपना संगीत बना लिया है। केय और रिचा शर्मा ने इन गीतों को गाया है जबकि सई

जन्नत की आगबढ़ चला है ताप अब,बर्फ को पिघलने दो !रोको विष, न रुको, कदम को बढ़ा चलो,आक्रोश में शिखर को थोड़ा पिघलने दो,बन चला है जंगल, अब न रहा जन्नत,काँटों के झुर्मुठों को थोड़ा तो सुलगने दो,रहो सजग, मन में न विष कोई घुल पाये,थाम लो फूलों को, न काँटों संग पलने दो ।बढ़ चला है ताप अब,बर्फ को पिघलने दो !सह प

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए