राघव कहता है अब तो लग रहा है सारी जिंदगी इसी फ्लैट में बितानी पड़ेगी।
अब आगे-
मिस तान्या आप को नहीं, लगता कि जिंदगी एक दम से घुटन भरी हो गई है।
तानी-आप इतने में ही ऊब गए , राघव( शुन्य में देखते हुए चेहरे पर सैकड़ों दर्द के भाव आते हैं जाते है) मैं
ने अपनी जिंदगी को नर्क से भी बदतर हो ते देखा है।
राघव-( तानी के चेहरे के भाव को समझने की कोशिश कर रहा है। लगभग दो महीने से तानी के साथ रह रहा है पर इतना सिरियस उसे पहली बार देख रहा है।) ऐसा क्या हुआ था आप के साथ,,,,,,,
तानी राघव को अपने अतीत के बारे में बताती है।
फ्लैश बैक
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तानी अपना एम बी ए कम्पलीट कर चुकी हैं,कइ कम्पनीयो में प्लेसमेंट में जाब की बात चल रही थीं
उन्हीं दिनों पापा के एक दोस्त आए जो नागपुर में
रहते हैं।
वो अपने लड़के के लिए एक पढ़ी लिखी लड़की
ढूढ रहें थे। उन्होंने मुझे देखा तो पापा से कहा कि
वो मेरी शादी अपने लड़के से कराना चाहते हैं।
मैं उनको उनकी बहू के रूप में पसंद हूं।
पापा को भी रिश्ता ठिक लगा उन्होंने हामी भर दी,
अंकल ने कहा कि वो बहुत दिनों से नागपुर में ही रहते हैं, तो यहां किसी को ज्यादा जानते नहीं हैं। तो उनके
तरफ़ से बाराती ज्यादा लोग नहीं होंगे।
अंकल ने कहा दहेज के बारे में कोई बात नहीं होगी , मैं दहेज लेने देने दोनों के खिलाफ हूं।
भानु प्रताप सिंह-(तानी के पापा )तुम ऐसा करो अपने
लड़के को बुलालों वह आकर तानी को देख ले।
भास्कर सिंह-अरे भानू मैंने अपने बेटे के पास तेरी तानी की फोटो भेजी थी उसे लड़की बहुत पसंद आई वह शादी करने के लिए तैयार है। ( तानी के होने वाले ससुर )।
भानु-यह तो अच्छी बात है चलो दिन मुहूर्त निकलवा लेते हैं दोनों बच्चों की शादी करवा देते हैं हमारी दोस्ती रिश्तेदारी में बदल जाएगी। बस एक बार तुम अपने बेटे को यहां बुला ले तानी और उसकी मम्मी भी उसको देख ले फिर शादी की बात पक्की कर लेंगे।
भास्कर - बस इतनी सी बात मैं अपने लड़के और उसकी मम्मी दोनों को यहां बुला लेता हूं, तुझे मेरा बेटा पसंद आ गया तो, हम अपनी बहू को साथ लेकर जाएंगे।
भास्कर फोन करके अपने बेटे सूरज और पत्नी संध्या को फ्लाइट से आने के लिए कहते है।
2 दिन बाद ही मां बेटे सीतापुर आ जाते हैं लखनऊ तक फ्लाइट से आते हैं उसके बाद गाड़ी बुक कर के सीतापुर पहुंचते हैं।
सुरज देखने में बहुत ही खूब सूरत और स्मार्ट था किसी फिल्मी हीरो की तरह ।
तानी को नहीं पता होता है कि घर में उसके पापा और
भास्कर अंकल मिल कर क्या खिचड़ी पका रहे है।
तानी साम को जब कालेज से प्लेसमेंट देकर घर आती है तो सुरज और उसकी मम्मी पहले से ही घर आ चुके थे।
तानी का इंट्रोडक्शन सुरज ओर संध्या जी से कराया जाता है।
भानू जी- तान्या बेटा इनसे मिलो ये है, भास्कर की पत्नी संध्या जी,और यह इनका बेटा सूरज है।
तान्या सबको नमस्कार करतीहैं और अंदर चली जाती हैं। मम्मी ये लोग क्यों यहां आये है।
तान्या की मम्मी ममता जी पता नहीं बेटा तुम्हारे पापा ने मुझे कुछ बताया नहीं शायद घुमने आएं हों ।
तानी-ये कौन सा बड़ा शहर है जिसे देखने लोग दुर दुर से आने लगे।
ममता जी- चल छोड़ इन बातों को जा फ्रेश होकर आजा कुछ खा लें,।
संध्या जी कहती है कि तानी उनको सुरज के लिए
बहुत पसंद है।
सूरज से उसके पापा पूछते हैं, तो कहता है कि वो अभी शादी नहीं करना चाहता , लेकिन जब भास्कर जी उसे बार बार समझाने की कोशिश करते हैं तो
कहता है, कि जैसा आप लोगों को ठिक लगे। मुझे
कोई प्राब्लम नही है।
तानी को जब ये बात पता चलतीं है तो वो शादी के लिए मना करती है।
तानी- पापा प्लीज अभी मेरी शादी मत किजिए मैं
इस जाब को लेकर कितनी एक्साईटेड हूं आप नहीं
जानते हैं।
भानू जी- बेटा प्राइवेट जॉब ही तो है, नागपुर ब़ड़ा
शहर है वहां भी बहुत सारी कम्पनी है,यहां से अच्छी
नौकरी वहां मिल जाएगी।
मम्मी पापा के बार बार कहने से , तानी शादी के लिए मान जाती है। पर वह शादी से पहले सूरज से एक बार मिलकर कुछ बात करना चाहती हैं। सुरज पसंद
नहीं है, तो ना पसंद होने का भी कोई कारण नहीं है।
शादी ब्याह के बारे में अबतक कभी सोचा भी नहीं
पढ़ाई, नम्बर, नौकरी यही सब सोचती रही, स्कूल कालेज में कितने ही लड़कियों के ब्वाय फ्रेंड थे , पर
उसने इन फिजुल की बातों में कभी ध्यान नहीं दिया।
अब मां पापा शादी कराना चाहते हैं तो करही लूं,
मेरी अपनी तो कोई पसंद है नहीं ,जब शादी करुंगी
तो उन्हीं की मर्जी से करूंगी तो फिर अभी क्यों नहीं।
यही सब सोच कर सुरज से मिलने का फैसला करती है।
दूसरे दिन चाचाजी की लड़की से कहकर सूरज को
छत पर बुलवा लेती है। दोनों आपस में बातें करने
लगते हैं।
तानी- देखिए मै अभी इस शादी के लिए तैयार नहीं हूं।
अभी तो मैं नौकरी करना चाहती हूं, अपने पैरों पर
खड़ा होना चाहती हूं," पर मैं मम्मी पापा को भी निराश नहीं करना चाहती ,एक बेटी होने के नाते मेरा
भी फ़र्ज़ बनता है ।कि मैं उन्हें निराश ना करूं , अगर आप को कोई आपत्ती होतो आप इस शादी से मना कर सकते हैं।
सुरज- सेम कंडीशन मेरी भी है।पर मैं भी मम्मा-पापा
का दिल नहीं दुखा सकता , और आप से शादी करने में मुझे कोई प्राब्लम नही है,बस ये फैसला बहुत जल्दी
में लिया जा रहा है मैं इस सब के लिए अभी तैयार नही
था।
तानी- अब ये तो बड़ों के फैसले है इसमें हम क्या कर सकते है।
( ये सब सुन कर सुरज असमंजस की स्थिति में खड़ा
रहता है उसे समझ नहीं आता कि वो ये शादी कैसे रोकें, तानी को भी कोई दिक्कत नहीं है, मम्मा-पापा
उसकी सुनेंगे नहीं) ?????
सुरज के मम्मी-पापा को शादी की जल्दी रहती है।
वो बिजनेस ज्यादा दिनो तक दुसरे के सहारे नहीं छोड़
सकते , तो तानी के पापा भी कुछ करिबी रिश्ते दारो
के बिच, दोनों की शादी कम लोगों के बीच ठिक ठाक
तरिके से करवा देते हैं। रिसेप्शन नागपुर में ही होने वाला था,तो चारों लोग दो दिन बाद ही फ्लाइट से
नागपुर आ जाते हैं।
तानी मिडिल क्लास फैमिली से थी,पर सुरज की फैमिली काफी रिच थी, तानी के आने की खबर नौकरो को पहले से थी , उन्होंने नई बहू के वेलकम
की सारी तैयारियां कर ली थी,।
फ्लाइट से उतर कर चारों लोग बाहर निकले वहां
दो गाड़ियां पहले से आकर खड़ी थी। एक दुल्हन के
लिए स्पेशल गाड़ी फूलों से सजी थी, सभी गाड़ियों में
बैठ कर घर के लिए निकल गए।
घर पर नई बहू की आरती उतार कर चांवल के कलश
को पैरों से गिरा कर गॣह प्रवेश कराया गया।
फिर दुध से भरे बर्तन में अंगुठी डाल कर उसे ढुढने
की रस्म करायी गयी , एक के बाद एक रस्में होती जा रही थी,सुरज को कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था।
लेकिन मन मारकर रस्में निभाए जा रहा था।
थकान तो तानी को भी हो रही थी, लेकिन रस्में है तो
पुरी करनी थी।
शाम को रिसेप्शन है तो संध्या जी कहती है तानी बेटा
रिसेप्शन में अभी समय है तो, जाओ कमरे में जाकर
आराम कर लो। एक नौकर से कहकर उसे उसका कमरा दिखाने को कहती है। तानी दीन भर की रस्मों से इतनी थकी होती है, की कमरे में आते ही सो जाती
है।
थोड़ी देर में सुरज भी आराम करने कमरे में आता है
तो वहां तानी को सोता देख कर गेस्ट हाउस में चला
जाता है।
थोड़ी देर बाद संध्या जी पार्लर वाली को साथ लेकर आती हैं। और तानी से कहती हैं तानी बेटा उठ जाओ रिसेप्शन के लिए तैयार हो जाओ मेहमान आने शुरू हो गए हैं।
तानी उठ कर फ्रेश होती है और रिसेप्शन के लिए तैयार हो जाती है,
शाम हो गई है मेहमान आने शुरू हो गए हैं तानी को
लेजाकर रिसेप्शन हाल में बिठाया जाता है, थोड़ी
देर में सुरज भी वहा तैयार होकर आ जाता है। और
तानी के पास बैठ जाता हैं।
भास्कर सिंह जी वहां के बड़े बिजनेसमैन में से एक हैं , तो शहर के बड़े-बड़े लोग इस रिसेप्शन में आए हैं, सभी तानी और सूरज को आशीर्वाद देते हैं सूरज के दोस्त भी यहां आए हैं,।
पार्लर वाली ने तानी का मेकअप खूब सुंदर से किया है,वो सचमुच किसी राजकुमारी से कम नहीं लग रही है।
सूरज के दोस्त आते हैं तानी को देखते हैं तो सूरत से कहते हैं," क्या बात है भाई तू तो बड़ा छुपा रुस्तम निकला, भाभी लाया एकदम राजकुमारी जैसी।हम
सब को सरप्राइज कर दिया।
सुरज- मैंने कोई सरप्राइज नहीं दिया बल्कि मेरे लिए भी ये सब उतना ही सरप्राइज था जितना तुम लोगों
के लिए है।
निखिल जो कि सुरज का क्लोज फ्रेंड है,सुरज से
उसके पास आ कर धिरे से पुछता है तुने सिवन्या
को बताया है इस बारे में।
सुरज - नहीं बताया यार सब कुछ इतना जल्दी हुआ
की दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया जो होता
गया बस होने दिया। अब उसको कैसे फेस करूंगा
समझ में नहीं आ रहा है।
निखिल- तुने उसे रिसेप्शन में बुलाया है।
सुरज- हां मम्मा ने कहा था, उन्हें मेरे और सिवी के
रिलेशनशिप के बारे में नहीं पता है।
क्रमशः.............।