तानी मुझे पता था तुम जब भी मुंह खोलोगे खाने के बारे में ही बोलोगे।
अब आगे -
(अब मुझे समझ में आ गया है, मैं अपने लिए चाहें कुछ ना बनाऊं पर इस भुक्कड़ के लिए हर टाइम बना ना पड़ेगा)
तानी - हां अपने लिए बनाऊं गी तो तुम्हारे लिए भी बना दूंगी।हे इश्वर आज तक आप ने कभी मुझे ऐसे संकट में नहीं डाला अब आप ही मुझे इस बला से
बचाइए।
तानी खाना बनातीं है और राघव को भी देकर आती है। खाना खा कर थोड़ा आराम करती है।
फिर उठ कर टीवी चलातीं है , न्युज में कोरोना की खबरें चल रही थी। तभी न्युज में देता है कि आस पास गली मोहल्ले में किराना की दुकान खुली रहेगी।
तानी सामान तो मुझे भी लाना है, पहले कभी कभार ही घर का खाना खाती थी, तो राशन में ज्यादा कुछ
लाना नहीं पड़ता था। अब तो मार्केट में कुछ बना बनाया खानें को मिलेगा नहीं तो राशन अच्छे से लाकर रखना होगा। पता नहीं लाक डाउन कब तक रहे।
तभी दरवाजे की घंटी बजती है तानी सुबह से इस
बन्दर ने इतना परेशान कर दिया है।कि आराम से बैठ कर कुछ सोच भी नहीं सकतीं, तभी दुबारा फिर घंटी बजती है,ओहो जल्दी दरवाजा खोलू नहीं तो घंटी
बजा बजा कर तोड़ देगा। दिमाग को फ्रिज कर दिया है
इसने।
जा के दरवाजा खोलती है, सामने राघव दो कप चाय
लेकर खड़ा रहता है।
तानी - ये क्या हैं ?????
राघव-दिखता नहीं क्या चाय है;।
तानी- (अन्दर आते हुए) वो तो मुझे भी दिखाई दे रहा है,पर तुमने बनाया... मेरे लिए ,,,बैठो (सोफे की तरफ इशारा करती है,)।
राघव-कयो मैं नहीं बना सकता, सुबह से तुमने मेरे लिए कितना कुछ बनाया मैं इतना तो कर ही सकता हूं।
तानी चाय उठा कर पीती है,उ,,,,नाट बैड चाय अच्छी बना लेते हो।
राघव - अच्छा सुनो मिस , ,,,,,,,हे .... मैंने सुबह से अब तक तुम्हारा नाम नही पुछा।
तानी-पेट से फुर्सत मिलेगी तब तो नाम पूछोगे। तान्या
नाम है मेरा प्यार से तानी बुलाते है। मेरे अपने।
राघव - मैं भी तुम्हें तानी बुला सकता हूं।
तानी- बिल्कुल नहीं सिर्फ मेरे अपने ही मुझे तानी बुलाते हैं, तुम मुझे तान्या बुलाओगे।
राघव- ओके , ओके मिस तान्या मैं मार्केट जा रहा हूं
तो जो भी खाने या राशन की चीजें हैं, लिस्ट बना कर मुझे दे देना मैं लेता आऊंगा ।
तान्या-ठीक है मैं सारे सामान की लिस्ट तैयार कर
लेती हूं।
थोड़ी देर में तान्या लिस्ट तैयार कर लेती है और राघव
को सामान की लिस्ट पकड़ा देती है।
राघव- किराने की दुकान से सामान लेकर आता हैं।
तान्या सामान के पैसे देती है तो राघव मना कर देता है। तान्या कहती है, कि अगर तुम सामान के पैसे नहीं लोगे तो हम ये सामान भी नहीं लेंगे।
राघव-अरे मैं पैसे कैसे ले सकता हूं। मैं भी तो खाना
आपके यहां ही खाता हूं ।तो ये समझ लो मैं अपने लिए लाया हूं।
तानी- अगर अपने लिए लाए हो तो अपने आप बना कर खा लो। अगर मैं बनाऊंगी तो सामान के पैसे तुम्हें
लेने पड़ेंगे।
राघव - तुम्हें पता है कि मुझे खाना बनाना नहीं आता
इस लिए ऐसी सर्त रख रही हो!!! ठीक है ये सामान रखो। पैसे दे देना।
शाम हो चली थी तानी भी अकेले घर में रहते रहते बोर हो रही थी , सोची चलो छत पर थोड़ा घूम के आऊ घर में रहते रहते परेशान हो गई हूं छत पर जाकर बाहर की खुली हवा में थोड़ा सांस लेलू ।
छत पर जाकर देखती है पूरा शहर एकदम सुना
पड़ा है। दो तीन दिन पहले भी एक दिन का लाक
डाउन था। उस दिन को कामकाजी लोगों ने खूब
इंज्वॉय किया था।
पर आज तो जैसे मूसीबत लग रहा है। अभी 21
दिन और झेलना हैं।हम जैसे अकेले रहने वालों
के लिए तो और भी प्राब्लम है। आफिस खुला रहता है
तों दिन भर काम में व्यस्त रहो शाम को आओ, थकी हारी कुछ खाओ और सो जाओ, सोचने का समय नहीं मिलता कि हम अकेले हैं।
यही सब सोचते सोच अंधेरा हो जाता है, आती है रात का खाना बनाती है राघव को देती है खुद भी खाती है और सो जाती है।
सुबह आठ बजे घंटी की आवाज से आंख खुलती है। जा के दरवाजा खोलती हैं सामने राघव चाय नाश्ता लेकर खड़ा है।
तानी-इतनी सुबह सुबह चाय नाश्ता मैं तो अभी सो
रहीं थीं।
राघव- मुझे पता है कल भी इसी टाइम पर तुम उठी
थी।
तानी-आज तुम ने नास्ता भी तैयार कर लिया।
राघव - मुझे सुबह 5:00 बजे उठने की आदत है उठ कर जिम में वर्क आउट करता हूं। इसलिए यहां भी जल्दी उठ गया। थोड़ा घुमा टहला उसके बाद काफी
समय बचा सोचा कुछ नाश्ता बनाता हूं। कुछ बनाना
तो , आता नहीं है सोचा आज ब्रेड मक्खन नाश्ता में
ले।
तानी- हंसते हुए,चलो लोगों को पकाने के अलावा
कुछ तो पकाना आता है, तुम्हें?????
राघव - ऐसा नहीं है, मैं हरदम ऐसे नहीं पकाता
रहता हूं, बस फ्री हूं तो भूख ज्यादा लगती हूं। वैसे
मैंबांस एकदम स्ट्रिक्ट हूं।
तानी - भला तुमसे कौन डरता होगा, पियून भी
नहीं डरता होगा। अब जाओ यहां से मुझे नहाने
जाना है।
21 दिन ऐसे ही लाक डाउन के बीत जाते हैं।21
वे दिन फिर से नया लाक डाउन सुरू हो ने को
घोषित कर दिया गया। अब की बार 19 दिन का
हो गया है।अकेले रहने वाले लोग कुछ ज्यादा ही
परेशान हैं।
तानी छत पर टहलने जाती हैं, वहां राघव पहले से
हीं टहल रहा था।
राघव- उदास हो कर कहता है,लाक डाउन और आगे
बढ़ गया है,
तानी - हां मुझे पता है, लेकिन तुम इतना उदास क्यों हो????? खाने पिने की कोई दिक्कत है नहीं। पैसे
की भी कोई प्राब्लम नही है, हां क्लब वगैरा पार्टी
पब नहीं जा सकते, वही सब मिस कर रहे हो। और हंसने लगती हैं।
राघव - वो सब छोड़ो हम इतने दिनों से एक साथ रह रहे हैं लेकिन एक दूसरे के बारे में कुछ नहीं जानते तुमने अपने बारे में कुछ बताया नहीं।
तानी - हम दोनों एक दूसरे के लिए अजनबी हैं लॉक डाउन की वजह से तुम यहां फंस गए हो अब तक तो यही लग रहा था कि , लॉकडाउन खत्म होगा तुम चले जाओगे , लेकिन लग रहा है लाक डाउन लंबा चलेगा? और अभी हम दोनों को एक साथ ज्यादा दिन तक रहना पड़ेगा । चलो तुम्ही अपने बारे में कुछ बताओ कौन-कौन घर में है।
राघव - मेरे घर में मम्मी पापा है, मैं और दी। दी और जीजू एक ही कॉलेज में पढ़ते थे, इसलिए लव मैरिज कर ली, मम्मी पापा को जीजू पसंद नहीं थे । उन
लोगों ने दी , जीजू से रिश्ता ही तोड़ लिया पर मैं उनसे हमेशा जुड़ा रहा मम्मी पापा को यह नहीं पता है कि
मैं दी के यहां रूका हूं। उन्हें लगता है मैं किसी होटल में रुका हूं। बस इतना ही है मेरे बारे में तुम अपने बारे में कुछ बताओ???
तानी- मैं छोटे शहर से बिलॉन्ग करती हूं ,भैया भाभी यही दिल्ली में रहते हैं ," मैं उनके पास ही रहने आई थी"। यहां मुझे जॉब लग गई ,।तो मैं भैया भाभी को परेशान नहीं करना चाह रही थी। उनकी अपनी लाइफ है वह अपने तरीके से रहना चाहते हैं, इसलिए मैंने अपना अलग फ्लैट ले लिया।
राघव- कोई बॉयफ्रेंड वगैरा नहीं है????? या शादी का कोई इरादा नहीं है।
तानी - (शुन्य में देखते हुए) इन फालतू चीजों के लिए मेरे पास समय नहीं है , मैं अकेले रहना ही पसंद करती हूं, जरूरी नहीं कि हर किसी की जिंदगी में कोई साथी ही हो, जिंदगी अकेली भी तो जी जा सकती हैं। जीवनसाथी शब्द मेरे लाइफ का सबसे कड़वा शब्द है! मैं अपने जिंदगी में दोबारा इस शब्द को नहीं लाना चाहती ।
राघव- ऐसा क्या हुआ था।जो तुम्हें जीवन साथी सब से ही नफरत हो गई है।
तानी- मुझे लगता है काफी देर हो गई है हमें नीचे चलना चाहिए।
राघव - अरे सुनो तो बताओ ना क्या हुआ था मैं जानना चाहता हू।
तानी - मैं अपनी पर्सनल लाइफ किसी से शेयर नहीं करती हूं, मैं और तुम एक दूसरे को जानते ही कितने
दिनों से है,कि मैं अपनी सारी पर्सनल बातें तुमसे बताऊं। जब मुझे लगेगा कि तुम्हें बताना है तो तुम्हें जरूर बता दूंगी अब नीचे चले।
राघव - तुम्हारी मर्जी ,,,,,अच्छा ये बताओ क्या हम
दोस्त बन सकते हैं। आखिर दिल्ली शहर में वन इन
ओनली तुम्ही ऐसी इन्सान हो जी से मैं जानता हूं।
तानी-बात तो सोचने वाली है, ओके आज से हम
दोनों दोस्त हैं। दोनों हाथ मिलाते है।
धीरे-धीरे 19 दिन का लॉक डाउन भी खत्म होने को है। अब लोगों को उम्मीद लगती है कि शायद लाक डाउन खुल जाए लेकिन कोरोना केस बढ़ता देखकर यह उम्मीद थोड़ी कम हो जाती है। 19 दिन अभी कंप्लीट होने वाले होते हैं!!! तभी तीसरा लाक डाउन लग जाता है। जो 14 दिनों के लिए रहता है अब तो पब्लिक की सारी उम्मीद धरी की धरी रह जाती है । कभी जिंदगी में लॉकडाउन खुलेगा भी कि नहीं ऐसा
लगने लगता है।
राघव - अब तो लग रहा है ,सारी जिंदगी इसी फ्लैट में
बितानी पड़ेगी।
क्रमशः.............।
हैलो, दोस्तों जैसे पहली कहानी को अपना प्यार दिया, वैसे ही इस कहानी को भी अपना प्यार दिजियेगा।
धन्यवाद