सिवी इस शादी के बारे में मुझे कुछ पता नहीं था पापा ने अचानक से सब कुछ किया सोचने समझने का मौका ही नहीं मिला सुरज कहता है।
अब आगे
सिवी- इसमें सोचना समझना क्या था , तुम मुझसे प्यार करते हो ये बताने में कितना समय लगता है। ये दो शब्द नहीं बोल पाएं तुम और प्यार मोहब्बत की बड़ी बड़ी बाते किया करते थे तुम मुझसे , सिवी कहती है।
सूरज - वहां तुम होती तो शायद तुम भी वही करती जो मैंने किया है, वहां दो शब्द कहने की नहीं बात थी
वहां पापा की इज्जत बचाने वाली बात थी, पापा अपने बेटे पर इतना तो विश्वास कर ही सकते थे, फिर मैं उनकी किसी बात को कैसे टालता। उस समय मुझे जो ठीक लगा मैंने कर दिया, आगे पीछे क्या होगा ध्यान नहीं रहा।
सिवी- तुम क्या समझ रहे हो ये शादी कोई मजाक था,जो तुमने इज्जत बचाने के लिए कर लिया और इज्जत बच गयी तो अब तुम छोड़ कर चल दोगे।
सुरज- देखो सिवी शादी तो मैंने पापा के कहने पर कर ली लेकिन तान्या को मैं अपनी पत्नी कभी स्वीकार नहीं करूंगा मैं तुमसे प्यार करता हूं और तुमसे ही प्यार करता रहूंगा और यह बात मैं जल्दी ही तान्या को भी बता दूंगा फिर वह अपने रास्ते मैं अपने रास्ते।
सिवी-क्यों यह सब बातें सुनकर तुम्हारे पापा कि बेइज्जती नहीं होगी उनको बुरा नहीं लगेगा।
सुरज- लगे तो लगने दो मैं उस लड़की के साथ अपनी जिंदगी नहीं बर्बाद करूंगा ,हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं यह मैं मम्मी पापा को भी बता दूंगा फिर जो होगा देखा जाएगा ।
सिवी- पता है सुरज तुम्हारी क्या प्राब्लम है, तुम यहीं सोचते हो कि तुम जैसा चाहो गे तुम्हारा हर काम तुम्हारे हिसाब से ही होगा। और इसी चक्कर में सारे काम उल्टे कर आते हो और ,,,,,,निखिल तुम क्या करने आए हो , मुझे देखने कि मै मर गयी या जींदा हूं तो सुनो मै मरने वालो मेसे नहीं हू मैं मारने वालों में से हूं !!!!
तुम कल पूछ रहे थे ना कि मैं सफेद कपड़ों में क्यों आई हुई हूं, वह मैं अपने अरमानों के मैयत पर गई थी सूरज ने मुझे धोखा देकर अपनी शादी करली , मैं सुरज को यह दिखा रही थी कि अब मैं विधवा हो गई हूं। सूरज ने मेरे प्यार और अरमान दोनों का खून कर दिया( इतना कहकर सिवी सिसकने लगती है ) ।
निखिल - देखो सिवी ऐसे अनाप-शनाप बातें मत किया करो , और हां रोना तो बिल्कुल भी नहीं, देखो मैं जैसे सुरज का दोस्त हूं वैसे ही तूम्हारा भी दोस्त हूं, और किसी तीसरे को लेकर लड़ता मैं तुम दोनों को नहीं देख सकता , अच्छा सुनो जब गलती सूरज ने की है तो गलती सुधारने का एक मौका उसे भी तो दो। ।
सिवी- ठीक है बोल दो यह मामला झट से सुलझाए वरना मैं क्या करूंगी मुझे खुद नहीं पता मेरे सूरज की जिंदगी में मैं अपने सिवा किसी और को नहीं देख सकती अगर सूरज मेरा नहीं तो किसी का नहीं हो सकता।
सूरज- ठीक है मैं आज ही तान्या से बात करता हूं। इतना कहकर सूरज और निखिल वहां से उठ कर चले जाते हैं।
शाम को सूरज घर आता है और तान्या से कहता है तान्या मुझे तुमसे कुछ बात करनी है
तान्या- जी कहिए, आपको मुझसे क्या बात करनी है ?
सूरज - देखो तान्या मैं तुम्हें सब कुछ बहुत पहले ही बता देना चाहता था लेकिन मौका ही नहीं मिला पर अब मैं और देर नहीं कर सकता था तुम सुन रही हो ना???
तान्या - हां बोलिए मैं सुन रही हूं तानिया कहती हैं।
सूरज - देखो मैं तुमसे शादी करने से पहले ही किसी और लड़की को पसंद करता था , और मैं उससे शादी करना चाहता था लेकिन पापा के कहने की वजह से मैंने तुमसे शादी कर ली, मैं तुमसे प्यार नहीं करता हूं। इसमें गलती तुम्हारी भी नहीं है ,"तुमने मुझसे पूछा था लेकिन उस समय मैं कुछ बोल नहीं पाया "।पर मैं अब तुम्हें अंधेरे में नहीं रख सकता ।
तुमने रिसेप्शन के दिन उस लड़की को देखा भी था??? उसका नाम शिवन्या है मैं और शिवन्या कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे, तब से एक दूसरे को प्यार करते हैं ।पापा ने शादी अचानक कर दी, इसलिए मैं शिवन्या के बारे में उन्हें कुछ बता भी नहीं पाया!!!!
मैंने तुम्हें अपने बारे में सब कुछ बता दिया है। अब जैसी तुम्हारी मर्जी तुम चाहो यहां रह सकती हो,या अपने घर जा सकती हो यह फैसला तुम्हारा है पर मुझसे कोई उम्मीद मत लगाना???
तान्या-आपको नहीं लगता कि आप ने बहुत देर कर दी ये सब बताने में, अगर शादी से पहले ही आप मुझे ये सब बता देते तो मैं ये शादी ही नहीं करतीं, मैं तो खुद शादी नहीं करना चाह रही थी,मैं तो जाब करना चाह रही थी।
सूरज - तुम चाहो तो यहां भी पापा के आफिस में जाब कर सकतीं हो मैं पापा से बात कर लूंगा वो मना नहीं करेंगे।
तान्या- जी मैं आप को बाद में सोच कर बताती हूं।
"सूरज वहां से चला जाता है।
तान्या- सोचती है , क्या किस्मत है,जब शादी नहीं करना चाह रही थी,तब मम्मी पापा ने जबरदस्ती शादी करवा दी, अब शादी को निभाने का सोच रही थी तो,,,,,,?????,, जिंदगी का मज़ाक बन गया है।
सुबह तान्या ने सूरत से कहां वो इतनी जल्दी अपने घर तो जा नहीं सकती, तो सोच रही हूं कुछ दिन पापा के साथ ऑफिस में काम कर लेती हू ,जब कुछ दिन बाद मायके जाऊंगी तो पापा मम्मी को भी सब कुछ बता दूंगी और वापस नहीं आऊंगी ???जब तक वापस
जाने का कुछ अच्छा बहाना ना मिल जाए , तब तक यहीं रह लेती हूं।
सूरज- जैसी तुम्हारी मर्जी किसी चीज की जरूरत हो तो मुझसे बोल देना मुझे अपना दोस्त समझना , और टेंशन फ्री होकर यहां पर रहो।
तान्या- ठीक है आप अंकल जी से कह दीजिएगा कि कल से ही मैं ऑफिस ज्वाइन कर ले रही हूं घर में बैठ कर बोर हो जाती हूं।
मैंने भी ऑफिस ज्वाइन कर लिया और घर जाने का कोई बहाना ढूंढने लगी किस्मत को भी मुझ पर तरस आ गया और उसने मेरे लिए बहाना ढूंढा भी तो इतना खतरनाक की मेरी जिंदगी में तूफान आ गया कभी न खत्म होने वाला!!!!!!!
एक रात सूरज और शिवन्या पार्टी से वापस आ रहे थे सूरज ने ड्रिंक ज्यादा कर लिया था और ड्रिंक करके नशे की हालत में ही गाड़ी चला रहा था। उसे गाड़ी तेज़ न चला ने देने के लिए शिवन्या भी उसके साथ बैठे गई ,पर सूरज कुछ ज्यादा ही नशे में था। ज्यादा नशे में होने की वजह से ड्राइविंग ठीक से नहीं कर पा रहा था और गाड़ी जा कर डिवाइडर से टकरा गई एक्सीडेंट इतना तगड़ा हुआ कि दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।
अंकल आंटी ने अपना इकलौता बेटा खोया था मैं भी उनको क्या सांत्वना देती, एक महीना बीत गया, जैसे-तैसे जिंदगी पटरी पर आ रही थी, मैं भी कुछ कहने की हालत में नहीं थी । कहती भी कैंसे अंकल आंटी की हालत मुझसे देखी नहीं जा रही थी। फिर भी मैंने एक दिन हिम्मत करके कहा आंटी मुझे अपने मम्मी पापा के पास जाना है यहां मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है।
संध्या- जी ठीक है बेटा मैं तुम्हारे भाई को बुला दे रही हूं, तुम उनके साथ चली जाओ, वैसे तूम्हे रोकूं भी तो किस हक से????? जिसके लिए मैं तुम्हें यहां लेकर आई थी अब तो वह इस दुनिया में ही नहीं रहा???(और रोने लगती है आंसू पोंछते हुए)! ! !
मैं तुम्हारी जिंदगी यहां बर्बाद नहीं करूंगी!!! मुझसे कोई भी जरूरत हो तो तुम कहना हमें भी अपना मम्मी पापा ही समझना कभी कुछ कहने से झिझकना नहीं ।(उन्होंने भैया को फोन कर के कहा मूझे सीतापुर ले जाने के लिए)।
फिर भैया गए वहां से मुझ लिवा कर आ गए, अब मैं मायके में आ गई थी कुछ दिन तो लोग मुझसे सिंपति दिखाते रहें, फिर लोगों को मैं कुलच्छनी और मनहूस लगने लगी , मुहल्ले वाले कहते मनहूस कहीं की शादी के छः महीने बाद हीअपने पति को खा गईं जिस पर भी इसकी बूरा साया पड़ेगा उसका भी अपशगुन होगा।
गली मोहल्ले वाले बस एक ही ताना देते रहते थे जहां में खेलकूद के पली बढ़ी थी, वही लोग मुझसे अजनबी जैसा बर्ताव करते थे। उनके ताने सुन सुनकर मेरे कान पक जाते थे मैं दिन भर अपने कमरे में कैद रहती और रोती रहती थी।
यही लगता किसी ऐसी जगह भाग जाऊ जहां मुझे कोई जानता ना हो , मुझे उस गलती की सजा मिली थी जिसमें मेरा रत्ती भर भी दोष नहीं था। भैया को भी सुनकर बुरा लगा और वह मुझे अपने साथ दिल्ली ले कर आ गए मैं भैया भाभी के साथ ही रहने लगीं।
उसी बीच भाभी प्रेगनेंट हो गई एक दिन फर्स पर पानी गिरा होने की वजह से उनका पैर फिसल गया उनको अस्पताल लेकर गए, डॉक्टर ने कहा मां बच्चा दोनों ठीक है लेकिन थोड़ी चोट आ गई थी, इस लिए डॉकटर उनको बेड रेस्ट बोल दिया। भाभी की मम्मी को जब पता चला तो वो भी उन्हें देखने के लिए आ गई।
यहां आकर भइया ने मेरी जॉब लगवा दी थी, भाभी को बेड रेस्ट होने की वजह से घर का सारा काम करके ऑफिस जाती , और घर आकर फिर से सारे घर का काम निपटा ती, लेकिन अब भाभी की मां भाभी के कान भरने लगी कि मै अपशगुनी हूं और मेरा बूरा साया पड़ने की वजह से उनके साथ ये सब हो रहा है।अब धीरे-धीरे भाभी को भी मैं मनहूस नजर आने लगी।
धीरे-धीरे भैया भाभी मे मुझे लेकर झगड़े बढ़ने लगे। एक दिन भाभी भैया से झगड़ा कर रही थी तो मैंने भी सुन लिया , मैं नहीं चाहती थी कि मेरी वजह से घर में कलेश हो एक दिन मैंने भैया से कहा," कि भैया मेरे ऑफिस के पास ही कोई फ्लैट ढूंढ दीजिए मुझे यहां से आने जाने में दिक्कत होती है , पास में रहेगा तो दिक्कत नहीं होगी,जब चाहे चलीं जाऊंगी। भैया को तो जैसे मुंह मांगी मुराद मिल गई, भैया ने आफिस के पास ही ये फ्लैट ले दीया और मैं यहां आ गई।
कभी कभी दोनों से मिल ने चली जाती हूं उन्हें नहीं पता कि मैंने उन दोनों के झगड़े सुन लिए थे।
क्रमशः.............।