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जिंदगी मेरे अन्दर

30 अक्टूबर 2022

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सबको आती है नज़र रोशनी मेरे अंदर,

कितनी है, पूछे कोई तन्हाई मेरे अंदर

मेरी आवाज़ में है शामिल इक सन्नाटा,

सदियों से चीखती है ख़ामोशी मेरे अंदर

भीगने से भला कैसे बचाऊं ख़ुद को

बहती है ग़म की एक नदी मेरे अंदर

क़त्ल भी करता हूं तो माफ़ी के साथ,

थोड़ी है पर है अभी सादगी मेरे अंदर

ये ग़लतफ़हमी है सबको कि मैं ख़ुश रहता हूं,

ग़ौर से देखो, कहां है ख़ुशी मेरे अंदर ?

जिस्म ख़ुद देता है अब कन्धा सांसों को,

जब दम तोड़ती है ज़िंदगी मेरे अंदर.....

 Dr.Jyoti Maheshwari

Dr.Jyoti Maheshwari

बढ़िया

20 जनवरी 2023

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बेटियाँ पराई नहीं, दिलों में रहती है...

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नववर्ष

3 जनवरी 2024
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3 जनवरी 2024
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लोग जल जाते हैं मेरी मुस्कान पर क्योंकि,मैंने कभी दर्द की नुमाइश नहीं की... ज़िंदगी से जो मिला कबूल किया,किसी चीज की फरमाइश नहीं की... मुश्किल है समझ पाना मुझे क्योंकि,जीने के अलग अंदाज हैं म

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20 जनवरी 2024
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हाँ, मैंने गांव को इतने करीब से जिया है, खेतों में पीले सरसों के फूलों को सौंधी खुशबु के साथ खिलते देखा, सर्दी मे कोहरे की सफेद चादर की धुंध से लोगों की छिपत हुए देखा,हाँ, मैंने गांव को इतने

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बाबुल की बुलबुल

21 जनवरी 2024
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बाबुल की बुलबुल उड़ जायेगीबाबुल के आंगन मे गुड्डे - गुड़ियों से खेल खेलने वाली। बाबुल के आंगन व गुवाड़ की खुशी औरों की खुशियाँ बन जायेगी। बचपन की प्यारी सखी - सहेलियों से एक दिन दूर हो जाएगी

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23 जनवरी 2024
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"आंखें रोती भी है और आंखें हंसती भी है,आंखें सोती भी है और आंखें जागती भी है,आंखें आंखों से इशारों में बोलती भी है,आंखें आंखों से भला - बुरा देखती भी है..."-दिनेश कुमार कीर

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8 फरवरी 2024
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प्यारी बेटी (बेटी है तो कल है) किसी गाँव में एक परिवार रहता था। उस परिवार में गणेश अपनी पत्नी रेखा, छोटा बेटा दिनेश, बहू विमला, पौत्री अनन्या के साथ रहता था। गणेश का बड़ा बेटा विकास बड़े शहर में

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जिन्दगी

13 अप्रैल 2024
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गुजरती जिन्दगी के सारे लम्हेखूबसूरत ना हो सके तो क्या हुआ... कुछ यादगार लम्हों को हीजिन्दगी की सफलता समझो...-दिनेश कुमार कीर

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