ये लेख नकल है लेकिन ये एक कठोर सच और मुझे भावुक कर दिया जिसके वजह से आप लोगो सांझा किया .ये लेख नकल है लेकिन ये एक कठोर सच और मुझे भावुक कर दिया जिसके वजह से आप लोगो सांझा किया .
पिछले दिनों कश्मीर में किसी अशांत स्थान पर एक वायुसेना स्टेशन पर रुकने के लिए मुझे एक कॉटेज नुमा सुइट दिया गया, जिस पर लिखा था "Ajay Ahuja." वहां और भी कई कॉटेज थे, जिन पर किसी न किसी बलिदानी वायुयोद्धा का नाम संक्षिप्त विवरण सहित लिखा हुआ था। हुतात्मा अजय आहूजा का जितना विवरण मुझे याद रहा, आप भी पढ़िये-
,"स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा 27 मई 1999 को एक प्रतिरोधी अभियान में उस समय बलिदान हो गये, जब वे LOC के निकट भारतीय भूभाग में शाम के धुंधलके में आतंकवादियों के बीच फंसे एक राहत दल को निकलने में सहायता देने पहुँचे, तब वे अच्छी तरह जानते थे कि इस साहस का क्या मूल्य देना पड़ सकता है? इस अभियान के बीच ही स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा के Mig 21 लड़ाकू विमान पर एक आतंकवादी की कंधे से छोड़ी जाने वाली SAM मिसाइल आ टकराई। यह देखकर अजय आहूजा विमान की Ejector Seat से बाहर निकल कर सुरक्षित धरती पर पहुँच गये थे, परन्तु वहां आतंकियों ने उन्हें क्रूरता पूर्वक मार डाला। उनके शवपरीक्षण से भी यह तथ्य प्रमाणित हुआ।
इस युवा पायलट ने मातृभूमि के लिये सर्वोच्च बलिदान दिया।"
देश के सबसे सुरक्षित महानगरों में, दुनियाभर की सुरक्षा के बीच घनघोर विलासितापूर्ण जीवन का आनंद उठा रहे परजीवी खटमल जब एक षड्यंत्र के अंतर्गत् कहते हैं कि "अब यह देश सुरक्षित नहीं रहा।"
तो इन खटमलों की बात सुन कर घृणा से शरीर का रोम-रोम जल उठता है। स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा अत्यंत कठिन परीक्षाओं में उत्तीर्ण होकर ही लड़ाकू विमान के पायलट बने होंगे। वे परीक्षाएं उत्तीर्ण कर पाने की योग्यता है इन परजीवियों या इनकी संतानों में?
क्या अजय आहूजा एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन कर बंगलौर-पुणे में सुखी जीवन नहीं बिता सकते थे?
पिछले दिनों कश्मीर में किसी अशांत स्थान पर एक वायुसेना स्टेशन पर रुकने के लिए मुझे एक कॉटेज नुमा सुइट दिया गया, जिस पर लिखा था "Ajay Ahuja." वहां और भी कई कॉटेज थे, जिन पर किसी न किसी बलिदानी वायुयोद्धा का नाम संक्षिप्त विवरण सहित लिखा हुआ था। हुतात्मा अजय आहूजा का जितना विवरण मुझे याद रहा, आप भी पढ़िये-
,"स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा 27 मई 1999 को एक प्रतिरोधी अभियान में उस समय बलिदान हो गये, जब वे LOC के निकट भारतीय भूभाग में शाम के धुंधलके में आतंकवादियों के बीच फंसे एक राहत दल को निकलने में सहायता देने पहुँचे, तब वे अच्छी तरह जानते थे कि इस साहस का क्या मूल्य देना पड़ सकता है? इस अभियान के बीच ही स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा के Mig 21 लड़ाकू विमान पर एक आतंकवादी की कंधे से छोड़ी जाने वाली SAM मिसाइल आ टकराई। यह देखकर अजय आहूजा विमान की Ejector Seat से बाहर निकल कर सुरक्षित धरती पर पहुँच गये थे, परन्तु वहां आतंकियों ने उन्हें क्रूरता पूर्वक मार डाला। उनके शवपरीक्षण से भी यह तथ्य प्रमाणित हुआ।
इस युवा पायलट ने मातृभूमि के लिये सर्वोच्च बलिदान दिया।"
देश के सबसे सुरक्षित महानगरों में, दुनियाभर की सुरक्षा के बीच घनघोर विलासितापूर्ण जीवन का आनंद उठा रहे परजीवी खटमल जब एक षड्यंत्र के अंतर्गत् कहते हैं कि "अब यह देश सुरक्षित नहीं रहा।"
तो इन खटमलों की बात सुन कर घृणा से शरीर का रोम-रोम जल उठता है। स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा अत्यंत कठिन परीक्षाओं में उत्तीर्ण होकर ही लड़ाकू विमान के पायलट बने होंगे। वे परीक्षाएं उत्तीर्ण कर पाने की योग्यता है इन परजीवियों या इनकी संतानों में?
क्या अजय आहूजा एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन कर बंगलौर-पुणे में सुखी जीवन नहीं बिता सकते थे?