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संदीप सिंह की डायरी

संदीप सिंह

4 अध्याय
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sandeep singh ki dir

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पुस्तक के भाग

1

Sohan Krishna Singh

21 अक्टूबर 2015
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पुरस्कार वापसी अब , तब क्यो नही

21 अक्टूबर 2015
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वो जिनका कलेजा दिल्ली में 3 दिन के अंदर छह हजार सिक्खों के मारे जाने पर नहीं फटा !!!वो जिनका कलेजा लाखों कश्मीरी पण्डितों के कत्लेआम पर नहीं फटा !!वो जिनका कलेजा अयोध्या में कारसेवकों के कत्लेआम पर भी नहीँ फटा !!!!!वो जिनका कलेजा गोधरा में 59 रामसेवकों के जिन्दा जलाए जाने पर नहीं फटा!!!!!वो जिनका कल

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पुरस्कार वापसी अब , तब क्यो नही

21 अक्टूबर 2015
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वो जिनका कलेजा दिल्ली में 3 दिन के अंदर छह हजार सिक्खों के मारे जाने पर नहीं फटा !!!वो जिनका कलेजा लाखों कश्मीरी पण्डितों के कत्लेआम पर नहीं फटा !!वो जिनका कलेजा अयोध्या में कारसेवकों के कत्लेआम पर भी नहीँ फटा !!!!!वो जिनका कलेजा गोधरा में 59 रामसेवकों के जिन्दा जलाए जाने पर नहीं फटा!!!!!वो जिनका कल

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ज़िंदगी क्या है

12 नवम्बर 2015
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ज़िंदगी क्या है जानने के लियेज़िंदा रहना बहुत जरुरी है आज तक कोई भी रहा तो नहीसारी वादी उदास बैठी हैमौसमे गुल ने खुदकशी कर लीकिसने बरुद बोया बागो मेआओ हम सब पहन ले आइनेसारे देखेंगे अपना ही चेहरासारे हसीन लगेंगे यहाँहै नही जो दिखाई देता हैआइने पर छपा हुआ चेहरातर्जुमा आइने का ठीक नहीहम को गलिब ने येह दु

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