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काली आंखों में देखकर

7 सितम्बर 2021

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उफ़ तेरी काली नशीली आंखों में, जाना देखकर 
पी कर देखा था जाम वो नशा पैमाने मे ना मिला
जो नशा तेरी आंखों से हुआ देखकर
ऐसा नशा ना शराब मे मिला ना मयखाने मे

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Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

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रचनाएँ
हसरत ए दीदार
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मोहब्बत इश्क प्यार या वह ऐसा एहसास है जो हर किसी के दिल में होता है कभी ना कभी किसी ना किसी को प्यार होता है किसी को कुछ पल के लिए प्यार किसी को महीने भर का प्यार तो किसी को उम्र भर कर प्यार तो किसी को होता है जिंदगी के आखिरी सांस तक प्यार यह वह मोहब्बत है जिसकी कहानी की शुरुआत है करते हैं बेपनाह इश्क की जिसकी चाहत साथ रहने की तो नहीं थी पर हम एक दूसरे के दिलों में दिल की तरह धड़कने की चाहत थी एक दूसरे को चाहते हुए देख हसरत थी दीदार की। इश्क किसी की जात नहीं देखती है,, ना उसकी हैसियत पूछते हैं ना उसका धर्म मोहब्बत तो दो दिलों के बीच बनने वाला एहसास है। जहां इश्क ही मजहब है महबूब उसका खुदा। हिंदू मजहब और इस्लाम मजहब में जन्म लेने वाले दो अलग-अलग किरदार को एक दूसरे से मोहब्बत हो गई। इश्क मे जहां इज़हार नहीं था इकरार भी नहीं था पर जज्बात इतना था कि बिना कहे बिना सुने बस एक दूसरे को हो गए थे जहां रूह से शुरू होकर रूहानी मोहब्बत हो गए थे। हसरत ए दीदार ( बेइंतेहा इश्क ) भाग 1 रमजान का महीना था। रोजेदारों के लिए पाक महीना था,, नूर को भूख बर्दाश्त नहीं होती थी फिर भी ,, इस महीने में वह  पूरे शिद्दत से रोजा रखती थी। नूर को आज कॉलेज जाने का मन बिल्कुल भी नहीं था, इसलिए वह तैयार हो कर  चुपचाप से उठी और अम्मी को बता कर के ,,अपनी सहेली के घर चली गई थी । दरवाजा बंद देख कॉल बेल बजाती है।  2 मिनट के बाद में दरवाजा खुला था। दरवाजे पर अपनी सहेली को  ना देख कर किसी अजनबी को खड़ा देखकर  चौंक गई ,, गोरा चिट्टा हाइट करीब 6 फीट 2 इंच करीने से बाल संवार रखा था। क्लीन शेव चेहरा होठों की रंगत गुलाबी ,, आंखें थी लाइट ब्राउन ,, बड़ी-बड़ी आंखों में बेहद आकर्षण था। फिटिंग रेड व्हाट चेक  की शर्ट और ब्लैक पैंट पहना था। सामने खड़े सख्श को,,अकचका कर कुछ पल देखी ,, वह मुस्कुरा कर उसे देखा तो ,वह झट सा नजर झुका लेती हैं , संकुचा  कर अपने आप में सिमत गई। तेज तर्रार नूर जो किसी को भी बेधड़क जवाब देकर बोलती बंद कर देती है। कोई दूर से इस तरह मुस्कुरा कर देखे तो उसकी तो खैर नहीं थी। पर इस अजनबी में   ना जाने ऐसा क्या था कि ,, उसकी मुस्कुराहट से वह नजर झुका लेती है। जबकि कोई और होता तो बराबर उसे घूर कर देखती है और ,,2  चार कड़वी बातें सुना देती। हम आपसे कुछ कहने के लिए जगह पर घबराई सी व
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तु इश्क है

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तू इश्क है मेरी उस दुआ की तरह !आंखें बंद करके महसूस किया जाता है !!कभी मिलते हो सुकून बनकर एहसासों में !बिछड़कर ,,जुदाई का कसक दे जाता हैं !!

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हसरत - ए- दीदार (नूर की बेइंतेहा इश्क) 2नूर अपने घर आकर बेड पर पेट के बल लेट गई थी। कभी उसकी धड़कन बढ़ जाती तो,, कभी बेचैनी हो रही थीं। । उसे समझ नहीं आ रहा था यह हो क्या रहा है उसके साथ। दो

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