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हसरत ए दीदार (बेइंतेहा इश्क)भाग3

3 फरवरी 2023

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हसरत - ए- दीदार (नूर की बेइंतेहा इश्क) 2






नूर अपने घर आकर बेड पर पेट के बल लेट गई थी। कभी उसकी धड़कन बढ़ जाती तो,, कभी बेचैनी हो रही थीं। 
। उसे समझ नहीं आ रहा था यह हो क्या रहा है उसके साथ। 

दोपहर के नमाज का वक्त हो गया था,, तो वह अपनी मम्मी के साथ घर में और रिश्तेदार थे ।सभी एक जगह बैठ कर नमाज पढ़ने लगी थी। घर में जितने जेंट्स  है,,, वे सभी मस्जिद में नमाज अदा करने चले जाते हैं।।

काम में बिजी हो जाने की वजह से नूर का ध्यान अब बिल्कुल शांत था । जब तक वह  कुछ काम नहीं कर रही थी । बार-बार उसके ध्यान में साहिल से टकराना और उसकी बातें कानों में गूंजती रही थी ,,,-----और नूर  इन सब चीजों से ध्यान हटाना चाहती थीं। 

इसकी सफलता उसे काम में बिजी होने के बाद मिला था । शाम मे  होने वाले इफ्तार की तैयारी हो रही थी।  वह अपनी मां के साथ किचन में अपने हाथों से बेसन की बर्फी और सेबैया बना रही थी। दोनों चीज अपर्णा को बहुत पसंद थी इसलिए शुद्ध शाकाहारी बर्तन में बना रही थी। 

****

इधर
अपर्णा की पैर में स्वेलिंग पड़ी थी । वह शाम तक हद तक ठीक हो गया था । वह पैर में  क्रैमबैंडिंज बांधकर तैयार हो गई थी । ताकि उसे चलने में दर्द ना हो। 
तभी उसकी मां आवाज लगाई थी। 

अपर्णा – क्या बात है मंमी  कुछ चाहिए क्या ?? आपकी तबीयत अभी ठीक है ना??

अंजली जी –अरे मैं बिल्कुल ठीक हूं ?..यह तेरा भाई  है ना ?...कुछ ज्यादा ही घबरा जाता है? थोड़ा सा चक्कर आया हल्का सा बीपी बढ़ा है.. बेवजह के डॉक्टर के यहां पैसा फूक आया। 

अपर्णा – तुम भी ना मम्मी कमाल करती हो?? लापरवाही करना ठीक नहीं है!!?? भाई ने अच्छा किया कि  आप को  डॉक्टर से दिखा लाया ।
कम से कम तसल्ली तो है ना ?? कि आप बीमार नहीं हो ठीक हो !...बीपी बढ़ा है तो,, ख्याल तो रखना पड़ेगा??.  चावल आपको 1 सप्ताह नहीं मिलेगी... नमक भी कम खाने को मिलेगा तेल मसाला सब बंद।  चावल के बिना आपको चैन ही नहीं है। 


अंजली मां – चुप कर वहां डॉक्टर कम था क्या ??जो तू भी डॉक्टरी झाड़ने लगी!... इतना सारा पाबंदी मुझ पर लगाएगी ज्यादा मेरी मां बनने की जरूरत नहीं है समझी। 
मैंने तुझे बुलाया था??
यह  कहने के  लिए   ,,की, अभिमन्यु  काम से बाहर गया ,,,तो वह  तुझे नूर के घर नहीं ले जा पाएगा । ऐसा कर तू,,,, साहिल को ले जा ?..वह तुझे उसके घर तक छोड़ देगा। 

अपर्णा –  ठीक है मम्मी, देखना  साहिल भाई ?दस बहाने करेंगे,, तब जाकर के तैयार होंगे ?साथ जाने के लिए।
कहती हुई।  पर्स उठाकर कमरे से बाहर निकल गई। 

अपर्णा – साहिल भाई मुझे मेरे दोस्त के घर तक छोड़ दोगे ??प्लीज मना मत करना ! वह मेरा इंतजार कर रही होगी??। 

साहिल · – "तुझे पता है ना ??मेरा एग्जाम है? आप मुझे तो डिस्टर्ब करने आ गए !..अपने आप चली जा ना बहन _??

अपर्णा – बहाने मत बनाओ?... एक घंटा नहीं पढ़ोगे तो फेल नहीं हो जाओगे ??..अरे मेरी दुआ लगेगी और साथ ही मेरी सहेली नूर का भी दुआ  मिलेगी । तुम पक्का इस एग्जाम को पास  कर जाओगे और नौकरी तो मिल जाएगी । !

साहिल – नूर का नाम सुनकर उसकी आंखों में चमक आ गई थी ।  
"मैं क्यों जाऊं तुम्हारे सहेली के घर।---क्योंकि??  उसने तुम्हें इनवाइट किया है !!
"मुझे थोड़े ना बुलाया कि मैं जाऊं ?? "

अपर्णा – ओओओ ज्यादा बनो मत ??वो  तुम्हें  क्यों इनवाइट करेगी ?? तुम क्या उसके जीजा लगते हो ,??,
ज्यादा भाव मत खाओ?? चलो वहीं पर तुम्हारा इनवाइट करवा दूंगी ??

साहिल – "अरे---! मैं उसकी बहन का तो लग ही  सकता हूं ना ???जीजा .....?कहकर खिलखिला कर हंसने लगा।

अपर्णा – क्या मतलब ??? कहते हुए वह साहिल का चेहरा देख रही थी।  शायद ही कभी उसे हंसते हुए देखी थी। उसको इस तरह खुलकर हंसते देखकर अपर्णा भी खुश हो जाती हैं।
-- चलो ना भाई पिलिज पुलिज"


साहिल – चलता हूं अप्पू  तैयार तो होने दे ? 

अपर्णा – हे भगवान और कितना तैयार होना है। बन ठन के तो बैठे हो--- कसम से बहुत हैंडसम लग रहे हो ।  अब चलो -- तुम पर  कोई लड़की नहीं मरने वाली  । खडूस कही का  ?? 

साहिल – अप्पू मेरी बहना --+इतना मत जलाकर---!!! मरने वाली तो मर ही जाएगी आखिर  तेरे भाई की पर्सनालिटी जो अट्रेक्टिव है । ये और बात है कि, मेरी नजर ही -नहीं उठती है  किसी की तरफ???

अपर्णा –  ओ ओ ये मियां मिट्ठू बनना बंद करो ?

जिस दिन किसी से नजर मिल गई ना भाई फिर ,,,,उसकी नजरों से दूर जाना मुश्किल होगा???  खैर चलो प्यार मोहब्बत के पचड़े में नहीं पड़ो तो बेहतर है,,,  इश्क करना मतलब जहर  बन जाती है जिंदगी ?? 
वैसे भी आप और इश्क?? दोनो का कोई नाता नहीं ??

उसकी बात पर साहिल मुस्कुरा दिया था। 

थोड़ी देर बाद 

अपर्णा  नूर के घर पहुंचती हैं । 
दरवाजे पर दस्तक देने वाली थी कि,, तभी फटाक सा दरवाजा खुला-- नूर हांफते  हुए उसके गले लग गई। 
सामने  स्कूटर पर बैठा साहिल पर नजर चला गया।
वह भी उधर ही देख रहा था ।  नजर मिलते ही, दोनों की नजरे आपस में उलझ गई। "

अपर्णा  उसको खुद से अलग करते हुए बोली। "क्या बात है मोहतरमा?.. हांफते हुए कहां से आ रही हो।"

नूर · ---मुस्कुराते हुए---" अरे मैं छत पर से देख रही थी तू आ रही है या नहीं  ,,,कि  जैसे ही तुझे गली में आते हुए देखा??  तो मैं भागकर नीचे आ गई..

साहिल – अच्छा अप्पु ---मैं चलता हूं‌ ? बता दे वापसी में कितने बजे लेने आउ । 

अपर्णा – अरे नूर ..? साहिल भाई  को इनवाइट कर ले ,, उन्होंने कहा कि मैं क्यों जाऊं ??..यहां तुमने उन्हें इनवाइट थोड़े ना किया है।"  यहां से चले गए तो ,,----फिर वापस पता नहीं आएंगे कि नहीं !...कितने मेहनत से तो यहां पर आए हैं ,, तो उन्हें बुला लेना????

नूर – अपर्णा को देखी -- ह---म---  हम क--कै--से ??

अपर्णा – तेरा घर है तो ,,तू ही नहीं इनवाइट करेगी ना ??.. मेरे  कहने से थोड़े ना अंदर आएंगे,, और ---तुझे कब से झिझक होने लगी ?...तू तो मुंह फट है ! किसी को कुछ भी बोल देती है।

साहिल – जैसे ही स्कूटर स्टार्ट करता है कि 

नूर –जल्दी से बोल देती है ,,,"जी जनाब आप भी अंदर आ जाए ??? 

साहिल – जी----?? वह चौंक कर नूर को देखा फिर कभी अभी तो मैं चलता हूं ?? 

नूर – चले जाइएगा??  हम हमेशा के लिए थोड़ी ना रोक रहे हैं,--+ आप अंदर तशरीफ ला सकते हैं,, यकीन मानीये ,, हमारे गरीबखाने पर आपको जरा सा भी तकलीफ नहीं होगी ??

साहिल – अरे आप कैसी बातें कर रही हैं ,,हम कौन सा अमीरखाने में रहते हैं ,,, बस अच्छा नहीं लग रहा ,,, इस तरह किसी के घर आना ??

नूर – जी हमारी खातिरदारी में कोई कमी नहीं मिलेगी। और यह किसी का घर नहीं ? आपकी अप्पू की सहेली का घर है। अब इतने नखरे नहीं दिखाए तो बेहतर होगा ?? हम कह रहे हैं ना आप अंदर आ सकते हैं। बाकायदा आपको इनवाइट कर रहे हैं जनाब !! 

साहिल – स्कूटर स्टैंड पर लगा कर के अंदर आ जाता है। 

अपर्णा अंदर नूर की अम्मी से गले मिलती हैं। 

एक कमरे में नूर ले जाती है जहां पर इफ्तार के लिए व्यंजन रखा गया था।




(नूर अपने अम्मी अब्बू की एकलौती बेटी थी। अम्मी अब्बू से बहुत प्यार करते थे। उसे हर तरह की छूट दी गई थी। उसे हिजाब पहनना है  ,या नहीं पहनने   है उसकी मर्जी पर थे। 
इसीलिए उसके बहुत सारे रिश्तेदार नातेदार आस-पड़ोस के इस्लाम धर्म के लोग  में उनकी शिकायतें अक्सर होती थी ,,पर वो लोग परवाह नहीं करते थे। नूर के अब्बू  रहमान मिर्जा अपनी बेटी की खुशियों के आगे किसी की परवाह नहीं करते थे। उसकी अम्मी रेहाना मिर्जा हमेशा नूर के अब्बू को ताकीद करते रहती थी कि ,,अपनी बेटी को ज्यादा सिर पर ना चढ़ाएं। मनमर्जी करते रहती है ।वह कुछ भी कर सकती हैं ,, उसके अब्बू हंसी में बात को टाल देते थे ।यह कह कर की हमारी बेटी नूर हमारा गुरूर है ,, कोई ऐसा काम नहीं करेगी ,,जिसकी वजह से उनका सिर खुदा के अलावा किसी और के सामने झुके। 
जब उनके बिरादरी के लोग यह कहने लगे कि नूर की दोस्ती हिंदुओं के साथ रखना जरूरी नहीं है उससे दोस्ती तोड़ने की सलाह देते हैं। पर रहमान मिर्जा इस बात से सीधे इनकार कर देते हैं कि दोस्ती को मजहब से ना जोड़ें तो बेहतर होगा। बच्चियों की दोस्ती पाक है,, खुदा की मर्जी है और खुदा की मर्जी के खिलाफत करना इस्लाम धर्म का  तोहीन है। )

साहिल – इतना सारा अनेक प्रकार के व्यंजन देख कर चौंक गया -- ओ माय गॉड इतना सारा खाना
खाएगा कौन ?? 

नूर --- आप खाएंगे और कौन ?? माशा अल्लाह खुदा ने अच्छी सेहत दी है तो फिर शुरू हो जाइए सभी मिलकर खाएंगे इसे ही  तो इफ्तार कहते हैं। 
जहां सभी मिलकर एक साथ एक ही जगह खाते हैं। " 

अपर्णा · --चल शुरू हो जा पहले दुआ पढ़ ले उसके बाद हम लोग खाते हैं..

नूर के रिश्तेदार उसकी चचेरी  बहन ,, उसके फूफी उसके, खाला,,कि बेटी नूर कि   आपी ,, सभी एक साथ बैठे हुए थे।


थोड़ी देर बाद दावत फिनिश हो गए थे।

नूर जब अपर्णा को रूकने के लिए बोलती है तो, वह कहती है कि,, साहिल भाई का एग्जाम है तो उन्हें पढ़ना है,, और कहती है कि ,,जब सहरी टाइम में नमाज अदा करें तो,, भाई  के लिए भी दुआ कर देना।  उन्हें यह नौकरी जल्दी से मिल जाए। 

नूर _--मुस्कुराकर सिर हिला देती है..

जब साहिल जाने लगता है तो ,, उसे  नूर ईद में आने का  निमंत्रण दे देती हैं । 

जिसे साहिल मुस्कुरा कर आने का वादा कर लेता है। बाहर निकलते हुए ,, अपर्णा अपने भाई साहिल का परिचय देती है तो,,
नूर की अम्मी रेहाना मिर्जा,, और नूर के अब्बू रहमान मिर्जा को  साहिल हाथ जोड़कर प्रणाम करता है। रहमान मिर्जा भी  उसके सिर पर हाथ फेर देते हैं। 
रहमान मिर्जा  वह भी ईद के दिन आने का साहिल को निमंत्रण दे देते हैं। "

क्रमशः

*****†***
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Namita Prasad 💲✍️✍️


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रचनाएँ
हसरत ए दीदार
5.0
मोहब्बत इश्क प्यार या वह ऐसा एहसास है जो हर किसी के दिल में होता है कभी ना कभी किसी ना किसी को प्यार होता है किसी को कुछ पल के लिए प्यार किसी को महीने भर का प्यार तो किसी को उम्र भर कर प्यार तो किसी को होता है जिंदगी के आखिरी सांस तक प्यार यह वह मोहब्बत है जिसकी कहानी की शुरुआत है करते हैं बेपनाह इश्क की जिसकी चाहत साथ रहने की तो नहीं थी पर हम एक दूसरे के दिलों में दिल की तरह धड़कने की चाहत थी एक दूसरे को चाहते हुए देख हसरत थी दीदार की। इश्क किसी की जात नहीं देखती है,, ना उसकी हैसियत पूछते हैं ना उसका धर्म मोहब्बत तो दो दिलों के बीच बनने वाला एहसास है। जहां इश्क ही मजहब है महबूब उसका खुदा। हिंदू मजहब और इस्लाम मजहब में जन्म लेने वाले दो अलग-अलग किरदार को एक दूसरे से मोहब्बत हो गई। इश्क मे जहां इज़हार नहीं था इकरार भी नहीं था पर जज्बात इतना था कि बिना कहे बिना सुने बस एक दूसरे को हो गए थे जहां रूह से शुरू होकर रूहानी मोहब्बत हो गए थे। हसरत ए दीदार ( बेइंतेहा इश्क ) भाग 1 रमजान का महीना था। रोजेदारों के लिए पाक महीना था,, नूर को भूख बर्दाश्त नहीं होती थी फिर भी ,, इस महीने में वह  पूरे शिद्दत से रोजा रखती थी। नूर को आज कॉलेज जाने का मन बिल्कुल भी नहीं था, इसलिए वह तैयार हो कर  चुपचाप से उठी और अम्मी को बता कर के ,,अपनी सहेली के घर चली गई थी । दरवाजा बंद देख कॉल बेल बजाती है।  2 मिनट के बाद में दरवाजा खुला था। दरवाजे पर अपनी सहेली को  ना देख कर किसी अजनबी को खड़ा देखकर  चौंक गई ,, गोरा चिट्टा हाइट करीब 6 फीट 2 इंच करीने से बाल संवार रखा था। क्लीन शेव चेहरा होठों की रंगत गुलाबी ,, आंखें थी लाइट ब्राउन ,, बड़ी-बड़ी आंखों में बेहद आकर्षण था। फिटिंग रेड व्हाट चेक  की शर्ट और ब्लैक पैंट पहना था। सामने खड़े सख्श को,,अकचका कर कुछ पल देखी ,, वह मुस्कुरा कर उसे देखा तो ,वह झट सा नजर झुका लेती हैं , संकुचा  कर अपने आप में सिमत गई। तेज तर्रार नूर जो किसी को भी बेधड़क जवाब देकर बोलती बंद कर देती है। कोई दूर से इस तरह मुस्कुरा कर देखे तो उसकी तो खैर नहीं थी। पर इस अजनबी में   ना जाने ऐसा क्या था कि ,, उसकी मुस्कुराहट से वह नजर झुका लेती है। जबकि कोई और होता तो बराबर उसे घूर कर देखती है और ,,2  चार कड़वी बातें सुना देती। हम आपसे कुछ कहने के लिए जगह पर घबराई सी व
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