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हसरत ए दीदार -- भाग 2

1 फरवरी 2023

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सामने एक लंबे चौड़े हैंडसम नौजवान से नजर मिलते ही वह झेंप  गई थी ,, 

साहिल · – तो फिर जा कर मिल लिजिए आपने कमरे में रेस्ट कर रही है।  प्लीज कम---?

नूर – की दिल कि धड़कन बढ़ गई। 
वह  नजर बिना मिलाएं  धीमी कदमों से दरवाजा की ओर बढ़ गई।
वह   एक साइड हट गया था । कुछ बोलने के लिए मुंह खोलना चाहा  ,,, तब तक नूर दरवाजे के अंदर जाती हैं । तेजी कदमों से अपनी सहेली अपर्णा के कमरे की तरफ बढ़ गई।

अपर्णा  के  कमरे में पहुंच कर  जैसे ही  नूर उसके करीब जाकर खड़ी  हुई,, अप्पू कस कर उससे लिपट गई। 

उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।
अपर्णा उसे छेड़ते हुए बोली "हाय मेरी नूर कोई जिन्न  से टकरा गई क्या  ???घबरा कर कैसे कांप रही है ।

नूर –  को कुछ बोलते नहीं बना था।  वह कुछ पल उसी तरह उस को गले लगाए बैठी रही। फिर अलग हटकर बोली ---- जिन्न का तो पता नहीं मेरी जान ,लेकिन चलता फिरता कुतुबमीनार देख लिया ?? मुस्कुराते हुए बोली ,,," वैसे दरवाजा खोलने वाले जनाब थे कौन ??

अपर्णा – साहिल भाई ,,  हमारी बुआ का बेटा 
उन्होंने कुछ कहा क्या ??  वह जितने हैंडसम  है ,,उससे कहीं ज्यादा खडूस है ??

नूर – हमे क्या करना है,,उनकी खड़ूसियत का ??अच्छा सुन ,, आज हम  कॉलेज नहीं जा रहे हैं,,, 
तुम दो दिन से क्यों नहीं आ रही थी राजकुमारी

अपर्णा – कुछ नहीं यार ,, पैर में मोच है ,तो थोड़ा सुजन आ गया था । चलने में तकलीफ हो रही थी  ।  

नूर  – या मेरे खुदा तुने बताया क्यों नहीं  हमें तो इल्म नहीं था ?तेरे साथ ऐसा कुछ हुआ है ।
वह दुखी हो कर बोली । 

अपर्णा – पैर में मोच है ,,पैर नहीं टूटा  की तु  दुखी हो गई। 

नूर – खुदा खैर करे,, कमीनी खबरदार जो ऐसे खौफनाक मंजर की बात कही ।।  

अपर्णा – सॉरी नहीं बोलुगीं  अच्छा बता कुछ पीएगी  

नूर · – भूल गई आज आखिरी रोजा है । घर में  इफ्तार पार्टी है । तु शाम को घर आएगी  ,, 

अपर्णा – पैर दर्द नहीं रहा तो आएंगे 

नूर ·· अभि भाई के साथ बाइक से आ जाना । 
अरे हां  चाची जान और अभि भाई दिखाई नहीं दे रहे हैं । 

अपर्णा – भैया मम्मी को डॉक्टर के पास ले गये है । उनका  बीपी बढ़ गया था । 

नूर –   ओह , अच्छा अपना ख्याल रखना  चलते हैं। 

अपर्णा – ठीक है चली  जाना  ,,, क्या हुआ तू आ गए अकेले बहुत बोर हो रही थी। कुछ गपशप करते हैं। 
नूर खिलखिला कर हंसने लगी,, अल्लाह कसम से
,,तू कितना झूठ बोलने लगी है ,,आजकल तु बोर हो रही --मजाक अच्छा  है,, "अरे तू तो दीवार  को भी बोलना सीखा दे,, कोई नहीं मिलेगा तो,, तु खिड़की पर्दे से भी बात करने लगेगी।‌

"फिर क्या था दोनों दोस्त आपस में बात करने लगे,,,, बातों के सिलसिले के साथ-साथ दोनों ने यह भी डिस्कस कर लिया कि,, ईद के दिन कौन से कलर का कपड़ा पहनेगी ,,नूर ने तो कह दिया था कि उसने ,,मल्टी कलर का शरारा सूट खरीदा है । वही पहनेगी। अपर्णा कहती हैं कि वह पीच कलर का लहंगा पहनेगी ! ,, 
कभी पढ़ाई की बातें तो,, कभी कॉलेज की बातें कभी.. अटेंडेंस की बातें ,,और ना जाने क्या-क्या बातें करती रही ...,,दोनों। बीच-बीच में अपने कजन की बातें करने लगी,, अपने भाई साहिल की ,, 

अपर्णा –तुझे पता है साहिल भाई है ना ?..दिल के बहुत अच्छे हैं !..बस थोड़ा कम बोलते हैं..?.. मतलब अजनबीयत जिनसे हो ।?..  लेकिन जिससे दोस्ती हो ,,चाहे जो भी रिश्तेदार हो।
"उनका
दिल जिससे मिलता है ,,,उससे तो नॉनस्टॉप बात करते हैं। "

नूर –  अच्छा अप्पू अब ,, हम चलते हैं। कहते हुए 

नूर अपर्णा के गले लग कर उसके कमरे से निकल  जाती है। नूर मुस्कुराते हुए अपने दुपट्टे को संभालती हुई ,,तेज कदमों  से बाहर निकलने हीं वाली  थी कि,, अपने कमरे से निकलते हुए साहिल से टकरा गई।

उसका सिर हल्का सा झुका हुआ था इसलिए उसका सिर साहिल के सिने   से टकराया था। एक पल के  लिए,,नूर को लगा कि वह किसी पहाड़ से  टकरा गई है।"

टकराने की, वजह  अनबैलेंस होकर पीछे की ओर नूर गिरने लगी थी कि ,,साहिल अपना हाथ बढ़ाकर उसका हाथ पकड़  लिया। 

दूसरे हाथ उसके कंधे पर रखकर सीधा खड़ा कर दिया। 

"नूर कि घबराहट  उसके चेहरे पर पसीना बनकर  उभर आया था,, उसकी आंखें बंद थी। उसकी हिम्मत  नहीं हुई कि ,,वह पलके उठा कर टकराने वाले का चेहरा देखे। एक हाथ से अपना माथा सहला रही थी ।  

साहिल – बेहद आहिस्ता से उसके कान के पास अपना चेहरा ले जाकर बोला " अपने आसपास भी कभी  नजरे उठा कर देख लिया करीए , 
इस तरह टकराने से बच जाएंगी। शुक्र है कि आपको ज्यादा चोट नहीं लगी।" 

उसकी आवाज में न जाने कैसा कशिश था की नूर कि सांसे गले में अटक गई।

वह वहीं  जम सी गई थी। 

कुछ पल बाद नजर उठा कर देखी तो  ,, साहिल वहां से जा चुका था। "

हां खोई खोई सी इधर उधर देखी फिर, जल्दी से दरवाजा खोलकर बाहर निकल गई। 

"साहिल किचन से नूर को  देख रहा था,, उसकी चेहरे की,१ रंगत गोरा से कैसे गुलाबी हो रहा था, जैसे-जैसे उसकी चेहरे का रंगत में  बदलाव  आया ,,वैसे  ही साहिल की सांसे तेज होती रही,, ऐसा कैसे हो सकता है ,, वह अपनी हरकतों पर खुद हैरान था।

"आज तक कभी किसी लड़की ने उसे प्रभावित नहीं किया था ,,लेकिन नूर पहली नजर में उसकी आंखों में अपना गहरा अक्स छोड़ गई थी।"


क्रमशः 

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हसरत ए दीदार
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मोहब्बत इश्क प्यार या वह ऐसा एहसास है जो हर किसी के दिल में होता है कभी ना कभी किसी ना किसी को प्यार होता है किसी को कुछ पल के लिए प्यार किसी को महीने भर का प्यार तो किसी को उम्र भर कर प्यार तो किसी को होता है जिंदगी के आखिरी सांस तक प्यार यह वह मोहब्बत है जिसकी कहानी की शुरुआत है करते हैं बेपनाह इश्क की जिसकी चाहत साथ रहने की तो नहीं थी पर हम एक दूसरे के दिलों में दिल की तरह धड़कने की चाहत थी एक दूसरे को चाहते हुए देख हसरत थी दीदार की। इश्क किसी की जात नहीं देखती है,, ना उसकी हैसियत पूछते हैं ना उसका धर्म मोहब्बत तो दो दिलों के बीच बनने वाला एहसास है। जहां इश्क ही मजहब है महबूब उसका खुदा। हिंदू मजहब और इस्लाम मजहब में जन्म लेने वाले दो अलग-अलग किरदार को एक दूसरे से मोहब्बत हो गई। इश्क मे जहां इज़हार नहीं था इकरार भी नहीं था पर जज्बात इतना था कि बिना कहे बिना सुने बस एक दूसरे को हो गए थे जहां रूह से शुरू होकर रूहानी मोहब्बत हो गए थे। हसरत ए दीदार ( बेइंतेहा इश्क ) भाग 1 रमजान का महीना था। रोजेदारों के लिए पाक महीना था,, नूर को भूख बर्दाश्त नहीं होती थी फिर भी ,, इस महीने में वह  पूरे शिद्दत से रोजा रखती थी। नूर को आज कॉलेज जाने का मन बिल्कुल भी नहीं था, इसलिए वह तैयार हो कर  चुपचाप से उठी और अम्मी को बता कर के ,,अपनी सहेली के घर चली गई थी । दरवाजा बंद देख कॉल बेल बजाती है।  2 मिनट के बाद में दरवाजा खुला था। दरवाजे पर अपनी सहेली को  ना देख कर किसी अजनबी को खड़ा देखकर  चौंक गई ,, गोरा चिट्टा हाइट करीब 6 फीट 2 इंच करीने से बाल संवार रखा था। क्लीन शेव चेहरा होठों की रंगत गुलाबी ,, आंखें थी लाइट ब्राउन ,, बड़ी-बड़ी आंखों में बेहद आकर्षण था। फिटिंग रेड व्हाट चेक  की शर्ट और ब्लैक पैंट पहना था। सामने खड़े सख्श को,,अकचका कर कुछ पल देखी ,, वह मुस्कुरा कर उसे देखा तो ,वह झट सा नजर झुका लेती हैं , संकुचा  कर अपने आप में सिमत गई। तेज तर्रार नूर जो किसी को भी बेधड़क जवाब देकर बोलती बंद कर देती है। कोई दूर से इस तरह मुस्कुरा कर देखे तो उसकी तो खैर नहीं थी। पर इस अजनबी में   ना जाने ऐसा क्या था कि ,, उसकी मुस्कुराहट से वह नजर झुका लेती है। जबकि कोई और होता तो बराबर उसे घूर कर देखती है और ,,2  चार कड़वी बातें सुना देती। हम आपसे कुछ कहने के लिए जगह पर घबराई सी व
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