रमजान का महीना था। रोजेदारों के लिए पाक महीना था,, नूर को भूख बर्दाश्त नहीं होती थी फिर भी ,, इस महीने में वह पूरे शिद्दत से रोजा रखती थी।
नूर को आज कॉलेज जाने का मन बिल्कुल भी नहीं था,
इसलिए वह तैयार हो कर चुपचाप से उठी और अम्मी को बता कर के ,,अपनी सहेली के घर चली गई थी ।
दरवाजा बंद देख कॉल बेल बजाती है। 2 मिनट के बाद में दरवाजा खुला था।
दरवाजे पर अपनी सहेली को ना देख कर किसी अजनबी को खड़ा देखकर चौंक गई ,,
गोरा चिट्टा हाइट करीब 6 फीट 2 इंच करीने से बाल संवार रखा था। क्लीन शेव चेहरा होठों की रंगत गुलाबी ,, आंखें थी लाइट ब्राउन ,, बड़ी-बड़ी आंखों में बेहद आकर्षण था। फिटिंग रेड व्हाट चेक की शर्ट और ब्लैक पैंट पहना था।
सामने खड़े सख्श को,,अकचका कर कुछ पल देखी ,, वह मुस्कुरा कर उसे देखा तो ,वह झट सा
नजर झुका लेती हैं , संकुचा कर अपने आप में सिमत गई।
तेज तर्रार नूर जो किसी को भी बेधड़क जवाब देकर बोलती बंद कर देती है। कोई दूर से इस तरह मुस्कुरा कर देखे तो उसकी तो खैर नहीं थी। पर इस अजनबी में ना जाने ऐसा क्या था कि ,, उसकी मुस्कुराहट से वह नजर झुका लेती है। जबकि कोई और होता तो बराबर उसे घूर कर देखती है और ,,2 चार कड़वी बातें सुना देती।
हम आपसे कुछ कहने के लिए जगह पर घबराई सी वहां से
क्रमशः
नेक्स्ट भाग 2