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कार्तिक पूर्णिमा 2024

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ज्योतिर्मय निशा का पर्व पावन,कार्तिक पूर्णिमा का दिव्य सावन।गंगा की धारा में कर अद्भुत नर्तन,धर्म और श्रद्धा का अनुपम अर्पन।तारों से सजी ये रात्रि का उपहार,चमकता चंद्रमा है शांत, मनुहार।देवदीवाली का भ

क्या  हिन्दू  क्या  सिख,  क्या  वैष्णव,  ब्राह्मण,  शैव  और  देवी  के  उपासक, इस  दिन  का सभी के लिए विशेष  महत्त्व  है।  हिन्दू धर्म की सभी मान्यताओं के लिए इस दिन श्रद्धा और विश्वास से भर जाने के लि

धूप कहीं उल्लास की,  कहीं दुखोँ की शाम,  जीवन कहीं पे नारकीय, कहीं पे चारो धाम।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                        

दिखे साथ में दौड़ता,  ले हाथों में हाथ,  दो दिन में जाय छूट ये,  किस मतलब का साथ।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                         

क्या जीवन का अर्थ है,  क्या रिश्तों का मोल, मत धूल पकड़ना हाथ में, छोड़ रतन अनमोल।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                          

मिल जाए सो व्यर्थ है, नहीं मिला वो ध्यान,  गँवा फ़सल संतोष की,  नहीं सुखी इंसान।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                         

जोड़-तोड़ बाजीगरी,  है इनकी सबमें होड़,  प्रेम और सदभावना, क्यों बैठे सब छोड़।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                        

साँसों को जो कैद रखे, है ये बस पिंजड़ा एक,  ऐसा दृष्टिकोण रख, फिर तू जीवन देख।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                          

विष के सम निंदा जानिए, और ईर्ष्या अभिशाप, जैसे  सुलगता  कोयला,   होते-होते  राख़।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"         

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   कसे कभी रस्सी बहुत, फिर ढीली पड़ जाए,  ये जीवन की यात्रा, चलत अनवरत जाए।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"      

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