shabd-logo

यह कैसी पढाई और ये कौन से छात्र हैं

6 मार्च 2017

142 बार देखा गया 142
featured imageयह पढने वाले बच्चो के भविष्य पर आधारित है /

9 फरवरी 2016 में जेएनयू के बाद एक बार फिर 21 फरवरी 2017 को डीयू में होने वाली घटना ने सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि क्यों हमारे छात्र संगठन राजनैतिक मोहरे बनकर रह गए हैं और इसीलिए आज एक दूसरे के साथ नहीं एक दूसरे के खिलाफ हैं

इन छात्र संगठनों का यह संघर्ष छात्रों के लिए है या फिर राजनीति के लिए?इनकी यह लड़ाई शिक्षा नौकरी बेरोजगारी या फिर बेहतर भविष्य इनमें से किसके लिए है ?

इनका विरोध किसके प्रति है भ्रष्टाचार भाईभतीजावाद या फिर गुंडागर्दी ?
इनका यह आंदोलन किसके हित में है उनके खुद के या फिर देश के?
अफसोस तो यह है कि छात्रों का संघर्ष ऊपर लिखे गए किसी भी मुद्दे के लिए नहीं है।

सवाल कालेज प्रशासन से भी है कि उमर खालिद अतिथि वक्ता के तौर पर रामजस कालेज को उपयुक्त क्यों दिखाई दिया जो कि स्वयं एक छात्र है?
उनका आदिवासियों पर किया गया शोध अन्तराष्ट्रीय दर्जे का था या फिर अफजल और बुरहान वाणी जैसे आतंकवादियों से उनकी हमदर्दी उनकी योग्यता बन गई?
और जब कुछ छात्रों के विरोध के फलस्वरूप " विरोध की संस्कृति " विषय पर आयोजित इस सेमीनार में वक्ता के तौर पर उनका आमंत्रण निरस्त किया जाता है तो वामपंथी छात्र संगठन द्वारा इस 'विरोध ' के विरोध में बस्तर और कश्मीर की आज़ादी के नारे क्यों लगाए जाते हैं?

यह कैसी पढ़ाई है और ये कौन से छात्र हैं?
जब एबीवीपी इन नारों का विरोध करता है तो बात अभिव्यक्ति की आजादी और राष्ट्रवाद पर कैसे आ जाती है?
अभिव्यक्ति की यह कैसी आज़ादी है जिससे देश की अखंडता ही खतरे में पड जाए?
क्यों हमारे कालेज के कैम्पस पढ़ाई से ज्यादा राजनीति के अड्डे बन चुके हैं?
देश की राजधानी दिल्ली का रामजस कालेज,1917 में अपनी स्थापना के साथ इस वर्ष अपने 100 वर्ष पूर्ण कर रहा है।

दिल्ली यूनिवर्सिटी देश की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी है जिसमें एडमिशन मिलना ही अपने आप में एक उपलब्धि मानी जाती है। वहाँ पर हमारे छात्रों को वैचारिक और सांस्कृतिक खुलेपन के नाम पर क्या परोसा जा रहा है ?

बड़े ही भोलेपन से कुछ लोग यह सवाल कर रहे हैं कि इस सेमीनार में आमन्त्रित सदस्यों को सुनने से क्या हो जाता? तो इसका जवाब इन वक्ताओं के अतीत में है। उमर खालिद का इतिहास तो पूरा देश जानता है। शहेला राशिद एक कश्मीरी होने के साथ ही एआईएसए की वाईस प्रसीडेंट हैं। जिस संगठन से वे जुड़ी हैं जाहिर है वे छात्रों के आगे उस विचारधारा को ही परोसतीं।
माया कृष्ण राव थ्रिएटर कलाकार हैं जो नाटक एवं अन्य कलाओं से छात्रों को 'विरोध' के तरीके सिखातीं।

सृष्टि श्रीवास्तव जो कि 'पिंजरा तोड़ अभियान ' चलाती हैं वो महिलाओं को ' पितृसत्तामक संस्कृति ' का विरोध करना बतातीं कि आखिर क्यों लड़कियों के लिए रात आठ बजे के बाद बाहर निकलना मना है लेकिन लड़कों के लिए नहीं। प्रद्युमन जयराम जो कि लन्दन में पीएचडी कर रहे हैं वो सोशल मीडिया पर विरोध के तरीके उसके फायदे और उससे होने वाले नुकसान के बारे में बताते। विक्रमादित्य सहाय ट्रान्सजोन्डर लोगों को समाज में मिलने वाले विरोध का विरोध करते।
इन लोगों को सुन कर हमारे छात्रों का क्या भला हो जाता?
वैसे तो सेमीनार का विषय भी अपने आप में बहुत कुछ कहता कि किसी सकारात्मक विषय के बजाए विरोध जैसे विषय को बच्चों के आगे रखकर देश के वातावरण में नकारात्मकता नहीं फैलायी जा रही?

हमारे देश ने हाल ही में अनेक उपलब्धियाँ हासिल की हैं जैसे इसरो ने एक साथ 104 सैटेलाइट लाँच की थी या फिर 2016 के ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौता अथवा भारत के योग को विश्व भर में जो मान्यता मिली है इसके अलावा भारत के युवाओं को उद्यमी कैसे बनाएँ जैसे अनेकों विषय वाद विवाद के लिए हो सकते थे लेकिन कल्चरल स्टडीज़ के नाम पर अपनी सोच अपनी संस्कृति अपने 'पिंजरे' से बाहर निकलने के लिए प्रेरित करने के बहाने हमारे देश के युवाओं को एक विशेष संस्कृति का मीठा जहर बहुत ही चालाकी से परोसा जा रहा है।

छात्र तो मोहरा भर हैं असली राजनीति तो वे समझ ही नहीं पा रहे। शायद इसीलिए 27 फरवरी को रामजस कालेज के प्रिंसिपल राजेन्द्र प्रसाद छात्रों के बीच खुद पर्चे बाँट रहे थे जिसमें उन्होंने साफ तौर पर लिखा कि देशभक्ति की हवा तले शिक्षा को खत्म न होने दें। वे सियासी औजार बनकर न रह जांए और उस राजनीति को स्वीकार न करें जो उनकी पढ़ाई के ही खिलाफ है। विरोध तर्कों का हो विचारों का हो लेकिन एक दूसरे का तो कतई न हो।

यह कैसी पढ़ाई है और ये कौन से छात्र हैं | SochWorld.Com

योगेन्द्र सिंह की अन्य किताबें

रेणु

रेणु

सच है ये कथित छात्र देश समाज हित के लिए कुछ करने की जगह इस अनमोल छात्र जीवन को व्यर्थ के वाद विवाद में उलझा कर अपने साथ दूसरे छात्र वर्ग के भावी जीवन क्ष शिक्षा में अवरोध पैदा कर रहे हैं | यहाँ बड़ा छात्र वर्ग शिक्षित हो अपना और देश का भविष्य संवारने आता है | अच्छा हो छात्र - छात्र ही रहे -- देश के सर्वे सर्वा न बने -- देश में न्यायपालिका मौजूद है --

8 मार्च 2017

1

सबको सम्मति दे भगवान

21 जनवरी 2017
0
1
0

यह लेख नरेंद्र मोदी और महात्मा गाँधी की फोटो पर आधारित है. यह देश के युवाओ के लिए है. इसमें देश के राष्ट्रीय मुद्दे को उजागर किया गया है. यह लेख लोगो में नागरिकता को बढ़ाता है.

2

सबको सम्मति दे भगवान

21 जनवरी 2017
0
1
0

http://www.sochworld.com/2017/01/sabko-sammati-de-bhagwan-narendra-modi.html?m=1 सबको सम्मति दे भगवान ऊपर दिए गए लिंक पर क्लिक करें और पढ़े महात्मा गांधी और नरेन्द मोदी के ऊपर लिखा गया डॉ. नीलम महेन्द्र का एक दिलचस्प और सोचनीय Article.

3

Womens Law से अनजान महिलाएं

12 फरवरी 2017
0
0
0

4

Womens Law से अंजान महिलाएं

12 फरवरी 2017
0
2
2

यहाँ महिलाओ के वो कानून बताए गए है जो महिलाओ के लिए लाभदायक है । ये कानून महिलाओ को अवश्य पढ़ने चाहिए। -- योगेन्द्र सिंह हमारे भारत देश में महिलाओं को समानता का अधिकार व महिला सुरक्षा अधिनियम दिया गया है।महिलाएं इस अधिकार का प्रयोग करके अपने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सफलता के झंडे गाड़ रह

5

वैलेंटाइन डे : एक विशेष जानकारी

14 फरवरी 2017
0
2
1

यह लेख प्यार करने वाले युवाओ को वैलेंटाइन डे के बारे में बताने वाला जानकारी देने वाला है । यह लेख प्यार करने वालो को जरूर पढ़ना चाहिए । -- योगेन्द्र सिंह वेलेंटाइन डे यानी 14 फरवरी का दिन। 14 फरवरी को आज का युवा प्यार का दिन मानता है,लेकिन यह कम ही लोग जानते होंगे कि 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे क्य

6

क्या यह पूरा न्याय है

18 फरवरी 2017
0
1
0

यह व्यापम घोटाले पर आधारित है / यहाँ नकली शिक्षा नकली डिग्रियां और बच्चो के भविष्य पर प्रकाश डाला गया है / 'व्यापम' अर्थात व्यवसायिक परीक्षा मण्डल, यह उन पोस्ट पर भर्तियाँ या एजुकेशन कोर्स में एडमिशन करता है जिनकी भर्ती मध्यप्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन नहीं करता है जैसे मेडिकल इंजीनियरिंग पुलिस नापतौ

7

देश में पल रहे मिलावट खोरों को सबक

18 फरवरी 2017
0
2
0

यहाँ मिलावट खोरो के बढ़ते ग्राफ को कविता के माध्यम से बताया गया है / देश के विकास के लिए मिलावट खोरी को रोकना बहुत जरुरी है।यदि ऐसा न हुआ तो हमारा भविष्य अंधकार में गिरता जायेगा। -- अक्षय आज़ाद भंडारी अपने देश में मिलावट खोर पल रहे हैक्यों अपने ही अपने को छल रहे हैन जाने देखकर भी नज़रे खामोश हो जाती है

8

प्यार होने के दिलचस्प Reason

1 मार्च 2017
0
1
0

यहाँ आप प्यार होने के रोमांटिक व दिल को छूने के तरीके जानेंगे। -- योगेन्द्र सिंह प्यार एक ऐसा शब्द जिसे सुनते ही हम सभी के दिल में हिंदी फिल्म की तरफ कुछ-कुछ होने लगता है। सभी लोग प्यार करना चाहते हैं। जिसे भी प्यार का रोग लग जाता है वह hindi filmi songs को दिन रात गुनग

9

यह कैसी पढाई और ये कौन से छात्र हैं

6 मार्च 2017
0
1
1

यह पढने वाले बच्चो के भविष्य पर आधारित है / 9 फरवरी 2016 में जेएनयू के बाद एक बार फिर 21 फरवरी 2017 को डीयू में होने वाली घटना ने सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि क्यों हमारे छात्र संगठन राजनैतिक मोहरे बनकर रह गए हैं और इसीलिए आज एक दूसरे के साथ नहीं एक दूसरे के खिलाफ ह

10

यहाँ है सरकारी नौकरी का Chance

10 मार्च 2017
0
0
0

यहाँ कुछ ऐसे सरकारी डिपार्टमेंट के बारे में जाने जिनके बारे मे लोगो जानकारी नहीं है / -- योगेन्द्र सिंह हम देखते हैं कि हमारे यहां अधिकतर student लोग कुछ चुनिंदा विभागों में ही नौकरी के लिए apply करते हैं। बैंक, रेलवे, पुलिस, फौज, टीचर, डाक विभाग, ssc इत्यादि ये ही वो गिने-चुने विभाग हैं जहां 10-

11

चुनावी चक्कलस पर भारी मीडियाई बतरस

16 मार्च 2017
0
3
2

यह चुनावो पर आधारित बहुत ही मजेदार व्यंग्य है इसमें जनता के लिए एक सीख भी है. पहले ही इतनी सारी परेशानियो से घिरा भारत का मतदाता चुनाव में किसकी नैया पार लगाएगा ये उसका विवेक तय करे उसके पहले ही मिडीया उसके लिए अपने सर्वे और ओपिनियन पोल से यह तय कर देता है की ऊंट किस क

12

असाधारण चुनाव के असाधारण नतीजे

24 मार्च 2017
0
1
0

यह उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के जीवन और काम को बताता है "हमारा अतीत हमारे वर्तमान पर हावी होकर हमारे भविष्य पर प्रश्न चिह्न लगा देता है" , एक कटु सत्य । ' सबका साथ,सबका विकास ' क्या संभव हो पाएगा जब यूपी में होगा योगी का राज ?यूपी चुनावों के चौंकाने वाले नतीजों से देश के कथित

13

व्यंग्य - लेखक और सम्मान

26 मार्च 2017
0
2
2

लेखक के जीवन पर लिखा गया एक दिलचस्प व्यंग्य जो आपके दिल को छू जायेगा। इसके साथ ही लेखकीय जीवन भी बतायेगा। --अमित शर्मा लेखक होना बड़ी ज़िम्मेदारी का काम होता है क्योंकि आपको जबान ना चलाकर अपनी कलम चलानी होती है। सामाजिक सरोकारों की गठरी कंधो पर उठाए ,ज़बान को लगाम देकर,कलम

14

My msme app के जरिये पाये रोजगार

29 मार्च 2017
0
0
0

यहाँ जाने सरकार के रोजगार देने वाले एप के बारे में। इस एप के द्वारा आपको रोजगार सम्बन्धी सारी सुविधाएं मिलेंगी। -- योगेन्द्र सिंहभारत सरकार ने आज के युवाओं की परेशानी को देखते हुए my msme app लांच किया है। अब इस एप के प्रयोग से युवाओं को रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

15

घर की मुर्गी लेकिन उपचार बराबर

4 अप्रैल 2017
0
2
1

एक बहुत ही मजेदार व रोचक आर्टिकल. यह एक ऐसा आर्टिकल है जो आपके दिल को छू जायेगा। घर की मुर्गी वाली कहावत तो सबने सुनी होगी। घरेलू वस्तुए इंसान का हर उम्र मे साथ निभाती है, जवानी में जो मेहँदी शादी में हाथो पर रचती है वही मेहँदी उम्र बीत जाने पर बालो की सफेदी मिटाकर इंसान

16

मार्च एंडिंग की मार्च पास्ट

9 अप्रैल 2017
0
0
0

यहाँ सेल्समैनों के जीवन को मार्च के महीने में दर्शाया गया है मार्च की शुरुआत से अंत तक सेल्स मैनेजरों का दिमाग तेज चलना शुरू कर देता है। किसी भी चालू वित्तीय वर्ष में बिक्री (सेल्स) के लक्ष्य (टारगेट) को पूरा करने के लिए बिक्री प्रबंधको (सेल्स मैंनेजरो) का चालू होना बहुत

17

सरकारी नौकरी पाने के नये confirm तरीके

14 अप्रैल 2017
0
1
0

सरकारी नौकरी पाने के लिए आज के एकदम नए तरीको को जानिए -- योगेन्द्र सिंह आज का हर युवा सरकारी नौकरी पाने के तरीके खोजता रहता है। हर युवा को नौकरी की जरूरत है।जब युवाओ को सरकारी नौकरी नहीं मिलती है तो वह प्राइवेट नौकरी की तरफ बढ़ जाते हैं। युवा वर्ग सरकारी नौकरी पाने में अ

---

किताब पढ़िए