लेखन और पत्रकारिता में निरंतर लगा हुआ हु,
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जय जवान जय किसान जय विज्ञान जय किसान जो इस धरा को हरियाली पहनाए, मेहनत से इस मिट्टी से जो सोना उपजाए। बहा पसीना अपने तन से करता है अन्नदान, जय जवान जय किसान जय विज्ञान।। अन्न धन से जो सदा देश को साम
मेरा कृतित्व अक्षर हैं ये बिखरे कंचों की तरह। समेट रहा हूं, इन्हें सीपियों की तरह। उड़ती हुई तितलियों सरीखे लग रहे हैं। मचलते हुए शब्द जेहन में टंग रहे हैं। घुमड़ते-उमड़ते बादलों की तरह खयाल हैं मेरे। दर
ये आर्यावर्त भारत हमारा महान है दुनिया में जिसकी निराली पहचान है, ये आर्यावर्त भारत हमारा महान है। वेदों का जिसने दिया ज्ञान सबको, बनाया था जिसने आर्य महान हमको। फैलाई थी सुदूर हर विद्या की शान है। य