हे कलियुग तेरी महिमा बड़ी अपार मानव ह्रदय कर दिया तूने तार-तार अब तो भाई , भाई से लड़ते हैं बाप भी माई से लड़ते हैं बेटी ,
जमाई से लड़ती है सब रिश्तों में डाली तूने ऐसी दरार उजड़ गए न जाने कितने घर-परिवार हे कलियुग तेरी महिमा बड़ी अपार |
अच्छाई को बुराई के सामने तूने घुटने टेकने पर मजबूर किया अपने , सपनों से कितनों को दूर किया फिर भी नहीं आया तुम्हें करार तो - कैसे -कैसे लोगों की बनवा दी सरकार हे कलियुग तेरी महिमा बड़ी अपार |
दागी , जालसाजों को बनाया तूने मंत्री अच्छे लोग बने हैं अब उसका संतरी विद्वत - जनों के अब क्या कहने वे तो घूम रहे हैं यूँ ही बेरोजगार सारी मेहनत हो रही उनकी बेकार हे कलियुग तेरी महिमा बड़ी अपार |
चारों तरफ से आती है आतंक की ख़बरें जी करता है तोड़ दें आतंकियों के जबड़े मगर आदमी अब कुछ कर ही नहीं पाता कर दिया है तूने उसे, तन -मन से इतना बीमार न जाने कौन करेगा अब इस भ्रष्ट - तंत्र का उपचार हे कलियुग तेरी महिमा बड़ी अपार |