प्यार हो और कहना पड़े ? क्या मेरी आंखों में मेरी सांसो मेंमेरे सुनने मेंमेरे कहने में तुम्हे प्यार नज़र नही आता ?क्या मेरी सोच में मेरी चिंता में मेरी दृष्टि मेंमेरी सृष्टि में तुम हमेशा नही रहती ? क्यूँ तुम्हारा रोनानम करता है मुझेऔर तुम्हारा हँसनाउल्लासितक्यूँतुम्हारा मान - अपमानकरता मुझे भीआनन्दित
Birds can't shop – Dr.Dinesh SharmaI wrote these lines seven years ago when I observedhundreds of parrots descending on my Litchi trees and destroying most of thefruits. This continues even today and I barely get a few fruits to taste andeat...Thisparrot I have named RampageSteals my Litchi with bra
काव्य रचनाओं में निपुण महान रचनाकार श्री महादेवी वर्मा जी |Mahadevi Verma:-काव्यों रचनाओं में निपुण महान श्री महादेवी वर्मा जी का जन्म सन् 26 मार्च 1907 को उत्तरप्रदेश के फ़र्रुख़ाबाद नामक क्षेत्र में हुआ था। वर्मा जी के जन्म के संबंध में सबसे विशेष बात यह थी कि
शबनम की बूंदे बरसने लगे,फूलो की खुश्बू महकने लगे,रात गुजरी ये कैसे पता ही नहीं,भोर में पक्षिया चहचाने लगे।नींद आती नहीं सोचकर बस यही,भूख के मारे बच्चे अब सोने लगे।भोर की कुछ मंज़र ऐसी रही,दिए बुझने लगे हम टहलने लगे।सहर* में अंधेरा रहा ही नहीं,जो अफताब* घर से निकलने लग
लाठी की टेक लिए चश्मा चढाये,सिर ऊँचा कर मां की तस्वीर पर,एकटक टकटकी लगाए,पश्चाताप के ऑंसू भरे,लरजती जुवान कह रही हो कि,तुम लौट कर क्यों नहीं आई,शायद खफा मुझसे,बस, इतनी सी हुई,हीरे को कांच समझता रहा,समर्पण भाव को मजबूरी का नाम देता,हठधर्मिता करता रहा,जानकर भी, नकारता र
सिखा दे हमें मुस्कराना वो हर पल😍😇करने को तो है बयां इस दिल की कहानी,पर काश मैं कह पाती इसको अपनी जुबानी.कहने को तो इस दिल में है यूँ तो बहुत कुछ,पर कम्बख्त ये दिल बयां करता ही नही कुछ.दरियादिली इस दिल की तुम न पुछो बस,😐😐खुशमिजाज़ ही रहता है पीकर भी ये हार का रस.हैं हम तो नासमझ जो इसको न समझ पाए,ब
मजदूर, ऐसा शब्द,जिससे प्रायः हम सभी परीचित होंगे,वही गंदे पुराने कपडे, पसीने से सने हुए,चहरे पर गहरी लकीरे,और मन में हीनता की भावना|आज मजदूर दिवस,हम धूम धाम से मनाएंगे|उसे छुट्टी देकर,अच्छा सा केक खीलायेंगे|आज कोई काम नहीं करने देंगे,न
सुबह निकलने से पहले ज़राबैठ जाता उन बुजुर्गों के पासपुराने चश्मे से झांकती आँखेंजो तरसती हैं चेहरा देखने कोबस कुछ ही पलों की बात थी ________________लंच किया तूने दोस्तों के संगकर देता व्हाट्सेप पत्नी को भीसबको खिलाकर खुद खाया यालेट हो गयी परसों की ही तरहकुछ सेकण्ड ही तो लगते तेरे ________________निक
हां ! हमनें गांधी को मारा दियाक्योंकि वह करता था आदर्श की बातें?क्योंकि वह चलता था सचाई-नैतिकता की राह परउसकी दी हुई आजादी हमें नहीं भाई,हम आजादी नहीं चाहते थेहम चाहते थे स्वतंत्रता के नाम परअराजकता एक अव्यवस्थाजो आजादी आज हम ढो रहे हैवो नहीं है गांधी के सपनों की आजादीबदला इस इस आजादी से कुछ भी
हे कलियुग तेरी महिमा बड़ी अपारमानव ह्रदय कर दिया तूने तार-तारअब तो भाई , भाई से लड़ते हैंबाप भी माई से लड़ते हैंबेटी , जमाई से लड़ती हैसब रिश्तों में डाली तूने ऐसी दरारउजड़ गए न जाने कितने घर-परिवारहे कलियुग तेरी महिमा बड़ी अपार | अच्छाई को बुराई के सामने तूनेघुटने टेकने पर मजबूर कियाअपने , सपनों से कित
पापा लाएवन पिजनमम्मी लाईटू डॉग्सथ्री कैट्स देख मगर शिक्षाने मचाया शोर,फोर बजे से लगीचिल्लाने डैड वॉक कराओ नहीं तो मेरे लिए कहीं से फाइव टैडी लेआओ ...सिक्स बजने पर नानी अम्मा सेवन चॉकलेट लाई,ऐट बजे तक शिक्षाजी ने बहुत इंटरेस्ट ले खाईंनौ दिन तक बूढ़े दादा ने हिंदी रोज सिखाई,हुई परीक्षा शिक्षा दस में द
मानव अब मानव नहीं रहा। मानव अब दानव बन रहा। हमेशा अपनी तृप्ति के लिए, बुरे कर्मों को जगह दे रहा। राक्षसी वृत्ति इनके अन्दर। हृदय में स्थान बनाकर । विचरण चारों दिशाओं में, दुष्ट प्रवृत्ति को अपनाकर। कहीं कर रहे हैं लुट-पाट।कहीं जीवों का काट-झाट। करतें रहते बुराई का पाठ, यही बुनते -रहते सांठ-गाँठ। य
main khoju tujhko yha- vha, sb se tera pta puchta, hr kshn tujhe khojta hu ,tu kha hai mere rachiyata. tu ek anokha hai ,tu "ansh" usi ka hai, vo nirvikar hai tere bhitr , tu swapna usi ka hai. main khoya hu khud se khud me, trsta hua apne mn se, jb-tb vyakul ho peeda se, tujhe khojta hu is van me.
If You CanRead ThisThan I Have lostMyTrailer:- I Never Wanted To Be Different, I Just Wanted To Be Me. I Do My Things And U Yours, I Am Not In This World To Live Up To Ur Expectations,And You Are Not In The World To Live Up To Mine. You R U And I Am I And If By Chance We Find Each Other Then It I