बारिशों से दोस्ती... अच्छी नहीं... ए ग़ालिब... ये मत भूल... कि, तेरा जिस्म भी उसी मिट्टी का बना है... जो चंद बूंदों के गिरने से... बेह जाती है... .
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मुद्दत से बंद... एक किताब हुं...,खोलना चाहेंगे क्या...,हमारा हाल तो... आपने पढ़ ही लिया होगा...,अपने दिल का हाल...बोलना चाहेंगे क्या...,मुद्दत से बंद... एक किताब हुं...,खोलना चाहेंगे क्या.... .
राज़ जो कुछ भी हो तेरे दिल में...इशारों में बता ही देना...,एक मुद्दत से बंद हैं.., तेरे दिल के कैदख़ाने में...,अब जाने की रज़ा भी दे देना...,शिकायत हो कोई... तो बता देना...,अगर, बाकी रह गई हो, कोई सज़ा...,तो सज़ा भी दे देना...,राज़ जो कुछ भी हो तेरे दिल में...इशारों में बता ही देना... .