मुद्दत से बंद... एक किताब हुं...,
खोलना चाहेंगे क्या...,
हमारा हाल तो... आपने पढ़ ही लिया होगा...,
अपने दिल का हाल...
बोलना चाहेंगे क्या...,
मुद्दत से बंद... एक किताब हुं...,
खोलना चाहेंगे क्या.... .
29 दिसम्बर 2019
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बारिशों से दोस्ती... अच्छी नहीं... ए ग़ालिब... ये मत भूल... कि, तेरा जिस्म भी उसी मिट्टी का बना है... जो चंद बूंदों के गिरने से... बेह जाती है... .D