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ख्वाबों की मलिका

27 जनवरी 2015

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ये तेरी पलक है कि मंजर सुहाना, सुहानी घटाएं समेटे हुए है. लहराती ज़ुल्फ़ों का आलम तो देखो, चंचल अदाएं लपेटे हुए हैं. तेरे सुर्ख होठों की लाली तो देखो, गुलों की इनायत में फेंटे हुए हैं . आँखों का मदमस्त प्याला तो देखो, हजारों मयखाने उमेठे हुए है. तेरे हुस्न-ओ-अदा की ये चर्चा करे क्या, दिल ये मेरा मुझको ऐंठे हुए है, बन जा मेरी तू ओ ख्वाबों की मलिका, ख्वाब तुझी संग सजाने को बैठे हुए हैं

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