सुनो जी क्यों न किराए का एक कमरा लेलें माँ-पिताजी को सुबह-शाम खाना तुम दे आया करना। हम भी खुश वे भी खुश। दोनों की चिक चिक खत्म हो जाएगी, न वे हमें देखेंगे और नही हुकुम चलाएंगे, नीला पानी दे दे, नीला छड़ी पकड़ा दे। पूजा घर तक छोड़ दे, मैं तो तंग आ गई हूँ सुन-सुनकर!!
हम अपनी लाइफ खुशी से गुजार पाएंगे। वे भी शांति से रहेंगे।
अरे! "मैं तो उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी कर दूंगा। तुम्हें खाना बनाने की जरूरत नहीं!!
तुम तो ये बताओ एक कमरे में गुजर हो जाएगी, जगह कम तो नहीं रहेगी???
नीला खुश होते हुए बोली, "अरे! दो जन के लिए कितनी जगह चाहिए, अलग-अलग कमरे को शयन कक्ष थोड़े न बनाएंगे।
"मै आज ही आस-पास कमरा देख लेता हूँ मां-पिताजी के लिए एक नौकरानी की व्यवस्था कर दूंगा!" कमल बोला।
नीला बहुत खुश थी। उसके पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। उसका पति कमल इतनी आसानी से बात मान लेगा ये तो उसने सोचा ही न था।
"बहू जरा मेरा बेंत पकड़ा दे मैं बाहर तक टहल आऊँ, पैर जकड़ गए उठ नहीं पा रहा।" रामलाल जी ने अपनी बहू को आवाज लगाई।
बहू ने आवाज को सुनकर अनसुना कर दिया।
रामलाल जी की पत्नी कमला धीरे-धीरे उठी और बेंत लाकर रामलाल जी को पकड़ा दिया।
आए दिन की दिनचर्या थी रामलाल जी अपनी बहू नीला से छोटे-मोटे काम की कहते रहते। नीला सब नजरंदाज कर जाती। उनकी पत्नी कमला धीरे-धीरे उनके काम करती रहती।
शाम को कमल ने नीला से कहा, "कमरा देख लिया है, अच्छा है, तुम चल कर एक बार देख लो।"
नीला बोली, "अजी देखना क्या है अच्छा ही होगा।"
कमल बोला, "जैसी तुम्हारी इच्छा!!"
"सामान पैक करलो कल शिफ्ट करना है।"
नीला खड़े होते हुए बोली, "ठीक है!"
"मैं भी आता हूँ तुम अकेली क्या करोगी" कमल बोला।
नीला सास-ससुर के कमरे की तरफ चल दी।
कमल बोला, "वहाँ कहाँ जा रही हो, किराए के कमरे के बारे में उन्हें क्या बताना, वे क्या मान जाएंगे। अपने कमरे में आ जाओ।"
नीला को कुछ समझ में नहीं आया कि कमल क्या कहना चाहता है??
वह अपने कमरे में आई तो देखा कमल अपने कपड़े अलमारी से निकाल कर सूटकेस में भर रहा था।
नीला आश्चर्य मिश्रित आवाज में बोली, "ये क्या कर रहे हो??"
कमल बोला, "सामान पैक कर रहा हूँ, क्यों कमरा शिफ्ट नहीं करना?? तुम ऐसा करो किचन में से जरूरत का थोड़ा सामान लेलो, कुछ नया खरीद लेंगे।"
नीला बोली, "हम क्यों जा रहे हैं?? कमरा तो माँ-पिताजी के लिए देखा है। सामान तो उनका पैक करना है!!"
कमल बोला, "माँ-पिताजी का सामान, क्या तुम छोटी बच्ची हो??, नासमझ हो, ऐसा सोच भी कैसे सकती हो?? माँ-पिताजी इस घर से जाएंगे!!
ये उनका घर है। उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से ये आशियाना बनाया है!!
यहाँ हमारा कुछ नहीं है समझी तुम, कोई अपने घर से भी जा सकता है क्या, तुम्हारी कमाई का घर होता तो क्या तुम दूसरों के लिए छोड़ देती??"
"मैं जानता हूँ तुम माँ-पिताजी की फिक्र कर रही हो!! चिंता मत करो, उनके लिए नौकरानी का प्रबंध भी हो गया है। कल 6 बजे आकर वह दरवाजा खटखटा देगी। हमें उजाला होने से पहले कमरे में शिफ्ट हो जाना है, थोड़ा जल्दी कर लो!!"
"वैसे एक बात कहूँ मैं तुम्हारा बहुत शुक्रगुजार हूँ।
अगर तुम किराए पर रहने का आइडिया नहीं देती,
तो मुझे अपनी कमाई से घर खरीदने का विचार न आता। हम जिंदगी भर पिताजी के मकान में ही रहते। अपनी कमाई से खरीदी हुई वस्तु का आनन्द ही कुछ और होता है, स्वाभिमान का महत्व तो तुमने मुझे सिखाया है, तुम सच माइने में मेरी अर्धांगिनी हो!! मैं तुम्हारा अहसान मंद हूँ!! हम कुछ दिन ही किराए के कमरे में रहेंगे।
अगले महीने ही मैं दो कमरों का फ्लैट बुक करा लूंगा और दो साल के अंदर ही हम अपने फ्लैट में पहुंच जाएंगे।"
"तुम अभी तक यहीं खड़ी हो, जल्दी करो!!"
नीला को काटो तो खून नहीं, वह किंकर्तव्यविमूढ़ सी खड़ी रह गई।।
कमल के शब्द उसके दिमाग पर हथौड़े की तरह चोट कर रहे थे!!
"मैं इस घर से नहीं जा सकती, ये मेरा घर है!!" नीला बोली।
कमल बोला, "माता-पिता का घर भी हमारा ही है, मैं जानता हूँ!! तुम मेरी भावनाएं समझो, उन्हें अपनी जिंदगी जीने दो। मैं अपनी कमाई से घर खरीद कर तुम्हें देना चाहता हूँ!!"
नीला बोली, "नहीं! मैं किराए के एक कमरे में नहीं रह सकती, और मैं कहीं नहीं जा रही, मुझे किराए के घर में रहना ही नहीं है। समझे तुम!!"
कमल बोला, "क्यों नहीं रह सकती एक कमरे में,
मेरे माता-पिता इस घर में आने से पहले किराए के एक कमरे में रहते थे। हमें भी आनंद लेना चाहिए एक कमरे में रहने का, तभी तो अपनी कमाई से घर खरीदने का विचार दृढ़ होगा!!"
दोनों की आवाज में तल्खी बढ़ने लगी, दोनों ही अपनी बात पर अड़े हुए थे!!
आवाज सुनकर माता-पिता आ गए। उन्हें देखते ही नीला कहने लगी, "देखिए न माँ-पिताजी किराए के कमरे में रहने की जिद् पर अड़े हुए हैं!
समझाइए न!!"
कमल उनके कुछ कहने से पहले ही बोल पड़ा, नहीं पिताजी आप कुछ मत कहिए, मैं किराए के घर में रहूँगा, किराए के घर में कैसे रहा जाता, क्या परेशानियाँ झेलनी पड़ती हैं?? हमारी जिंदगी में भी ये लम्हे आने चाहिए। अपनी कमाई से घर खरीद कर नीला को गिफ्ट करूँगा ताकि ये अपने पति पर गर्व कर सके!!"
माँ बोली, "तू यहाँ रह कर घर खरीद ले कौन मना कर रहा है।"
कमल बोला, "फिर किराए के कमरे की परेशानी से दो चार कैसे हो पाएंगे हम दोंनो।"
माँ-पिताजी बोले, "हम दोंनो अकेले रह जाएंगे तुम दोनों के बिना, इस पर तुम्हारा ध्यान नहीं है क्या??"
कमल बोला, "मैं जानता हूँ आप दोनों को हमारी सख्त जरूरत है, मैं अपना फर्ज बखूबी निभाऊंगा, लेकिन मैं अपने जीवन में कुछ करूँ मुझे ये मौका तो मिलना ही चाहिए न!!"
माँ बोली, "देख बेटा अगर तू इस घर से चला गया तो हम अकेले वैसे ही मर जाएंगे। अगर तू ये चाहता है कि हम अपनी जिंदगी न जिएं तो तेरी मर्जी!!"
कमल बोला, "माँ मैं किराए के मकान में तो जरूर रहूँगा क्योंकि मेरी इतनी ही हैसियत है, इस बात को नीला भी जानती है, कि मैं अपनी कमाई से नया घर धीरे-धीरे ही खरीद सकता हूँ। हाँ मैं इतना जरूर कर सकता हूँ कि आपके घर में ऊपर वाले कमरे में रहूँ और आपको किराया दूँ। आपको जब भी जरूरत हो आप मुझे आवाज लगा सकते हैं।"
नीला की ओर देखते हुए, "क्यों ठीक है न नीला!"
मरता क्या न करता!! नीला के लिए तो यही बहुत था कि ये घर न छूटे!
उसने बेदम आवाज में कहा, "ठीक है!"
माँ-पिताजी बोले, "लेकिन बेटा हम तो अकेले पड़ जाएंगे!!"
कमल: "नहीं पिताजी सुबह 6:00 नौकरानी आपके घर का दरवाजा खटखटा देगी, और 8:00 बजे वापस जाएगी। आप दोनों का सारा काम वही करेगी। आपको कोई दिक्कत नहीं होगी!
नीला की भी शिकायतें दूर हो जाएंगी!!"
इतना कहकर कमल सामान उठाकर ऊपर के कमरे में रखने लगा!!
स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)