29 सितम्बर 2015
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ठोकर ज़िन्दगी को तराशती है ।…खूबसूरत भाव है आपके इनको कागज़ पर बिखरती रहिये .
9 अक्टूबर 2015
बहुत सुन्दर !
8 अक्टूबर 2015
बस छोटीसी सुरवात है दोस्तों
5 अक्टूबर 2015
कम शब्दों में सार गर्भित अर्थ! सुन्दर पंक्तियाँ !
चंद पंक्तियों में जीवन के लिए एक अहम् सन्देश ! बहुत सुन्दर !
जिंदगी हर हल में ढलती हैं ,जैसे रेत मुट्ठी से फिसलती हैं,गीले शिकवे कितने भी हो ,हर हाल में हसते रहना क्योकि...जिंदगी ठोकरों से ही संभालती है....
अगर दुसरो के दुःख को देखकर तुम्ह भी दुःख होता हैं..तो समज लेना भगवन ने तुम्हे इंसान बनाकर कोई गलती नहीं कि...
किसी का दिल मत दुखाओ उसकेआंसू तुम्हारे लिए सजा बनसकतेहैं.......... वो ख्वाहिशे अजीब थी , सपनेअजीब थे जीने को तेरे प्यार की दौलत मिली थो थी ।..jab तुम नहीं थे उन दिनों हम भी गरीब थे ।....
मंजिल मिले न मिले ये मुक्कदर की बात हैं ! हम कोशिश भी न करें ये तो गलत बात हैं ।....jindgi जख्मों से भ री है वक्त को मरहम बनाना सिख लो हारना तो है एक दिन मौत से फ़िलहाल दोस्तों के साथ जिंदगी जीना सिख लो ,।.....!!
काश ,हमारी भी परवाह किसी ने की होती , तो ये दुनिया हमसे रुसवा न होती , अगर आता आप जैसा मुस्कुराना हमें , तो हमसे भी किसी ने मोह्हबत की होती ..