पधारो हे नंद लाल, जगमगा रही धरा ।
पालने में खेलता वो, मुस्कुरा रही देख यशोदा ।।
शोभे मयूर पंख सिर तेरे, हाथ लिए बंसी ।
नटखट गोपाल लीला, गोपियाँ थाम न सकी हँसी ।।
लीला है अपरंपार तेरा, जीवन का मूल्य सिखाया ।
प्रेम पाठ दिया तूने, तोड़ अहंकार सबका ।।
पधारो है नंद लाल, जगमगा रही धरा ........
बाल रूप तेरा देख, पधारे ब्रह्मा भोले ।
हाथ जोड़ मस्तक झुका, धन्य है प्रभु बोले ।।
लीला ऐसा रचाया, राधा मगन हो गई तुझमें ।
कालियानाग का घमंड तोड़, यमुनावासी भयमुक्त हो गए ।।
पग बढ़ा दिये तूने अपना, चल दिये जग कल्याण की ओर ।
रो पड़ी मइया यशोदा, कान्हा चले हस्तिना की ओर ।।
अर्जुन खुश हुए, जब श्रीकृष्ण मिले वहाँ ।
मन सुनिश्चित किया, सत्य की जीत है यहाँ ।।
दिखाया सत्यमार्ग राह, श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जब ।
भयभीत हो उठा, कौरव सेना ने तब ।।
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रुद्र रूप में आये श्रीकृष्ण ने ।
हाथ जोड़ विनती कर, गीता ज्ञान लिया अर्जुन ने ।।
पधारो हे नंद लाल, जगमगा रही धरा ।
मनोज सिंह 'यशस्वी'
जमशेदपुर