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कृष्णलीला

9 जून 2022

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पधारो हे नंद लाल, जगमगा रही धरा ।

पालने में खेलता वो, मुस्कुरा रही देख यशोदा ।।


शोभे मयूर पंख सिर तेरे, हाथ लिए बंसी ।

नटखट गोपाल लीला, गोपियाँ थाम न सकी हँसी ।।


लीला है अपरंपार तेरा, जीवन का मूल्य सिखाया ।

प्रेम पाठ दिया तूने, तोड़ अहंकार सबका ।।


पधारो है नंद लाल, जगमगा रही धरा ........


बाल रूप तेरा देख, पधारे ब्रह्मा भोले ।

हाथ जोड़ मस्तक झुका, धन्य है प्रभु बोले ।।


लीला ऐसा रचाया, राधा मगन हो गई तुझमें ।

कालियानाग का घमंड तोड़, यमुनावासी भयमुक्त हो गए ।।


पग बढ़ा दिये तूने अपना, चल दिये जग कल्याण की ओर ।

रो पड़ी मइया यशोदा, कान्हा चले हस्तिना की ओर ।।


अर्जुन खुश हुए, जब श्रीकृष्ण मिले वहाँ ।

मन सुनिश्चित किया, सत्य की जीत है यहाँ ।।


दिखाया सत्यमार्ग राह, श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जब ।

भयभीत हो उठा, कौरव सेना ने तब ।।


कुरुक्षेत्र की धरा पर, रुद्र रूप में आये श्रीकृष्ण ने ।

हाथ जोड़ विनती कर, गीता ज्ञान लिया अर्जुन ने ।।


पधारो हे नंद लाल, जगमगा रही धरा ।


मनोज सिंह 'यशस्वी'

जमशेदपुर

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