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Kumar Thakur की पुस्तकें

स्वर्गगंगा की सीपियाँ ...

स्वर्गगंगा की सीपियाँ ...

मन की व्यथा को शब्दों में पिरोना भी एक अद्भुत कला होती है फिर चाहे काव्य की सूरत में हो या कहानी और चाहे लेख के रूप में , ये कला माँ सरस्वती की पूर्ण कृपा से ही व्यक्ति को प्राप्त होती है ... स्वर्गगंगा की सीपियाँ - शब्दin पर मेरी प्रथम काव्य पुस्तिक

16 पाठक
28 रचनाएँ

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स्वर्गगंगा की सीपियाँ ...

स्वर्गगंगा की सीपियाँ ...

मन की व्यथा को शब्दों में पिरोना भी एक अद्भुत कला होती है फिर चाहे काव्य की सूरत में हो या कहानी और चाहे लेख के रूप में , ये कला माँ सरस्वती की पूर्ण कृपा से ही व्यक्ति को प्राप्त होती है ... स्वर्गगंगा की सीपियाँ - शब्दin पर मेरी प्रथम काव्य पुस्तिक

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मेरा जीवनदर्शन - मेरे विचार - मेरा अनुभव ..

मेरा जीवनदर्शन - मेरे विचार - मेरा अनुभव ..

अनुभव व्यक्ति के जीवन का एक बहुमूल्य खज़ाना होता है व्यक्ति जब किसी विपदा में , कष्ट में संकट में आता है तब व्यक्ति का ये खज़ाना उस के जीवन में काम आता है / अनुभव व्यक्ति के जीवन का स्वशक्ति - आत्म-सम्मान होता है किन्तु व्यक्ति जब भावनाओं में फंसता है

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मेरा जीवनदर्शन - मेरे विचार - मेरा अनुभव ..

मेरा जीवनदर्शन - मेरे विचार - मेरा अनुभव ..

अनुभव व्यक्ति के जीवन का एक बहुमूल्य खज़ाना होता है व्यक्ति जब किसी विपदा में , कष्ट में संकट में आता है तब व्यक्ति का ये खज़ाना उस के जीवन में काम आता है / अनुभव व्यक्ति के जीवन का स्वशक्ति - आत्म-सम्मान होता है किन्तु व्यक्ति जब भावनाओं में फंसता है

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Kumar Thakur के लेख

अपनी आत्मा को ऋण और अपेक्षा से मुक्त करो :

17 सितम्बर 2024
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अपनी आत्मा को ऋण और अपेक्षा से मुक्त करो :/ज़िन्दगी का सब से बड़ा बोझ , दुःख , गम , कर्ज़ का होता है चाहे आप को पैसे की मदद ,किसी अपने ने दी हो , रिश्तेदार ने दी हो , दोस्त ने दी हो या आप की मोहब्बत ने आ

ऐ नारी तू नास्तिक कैसे हो गयी ...

15 सितम्बर 2024
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ऐ नारी तू नास्तिक कैसे हो गयी तू तो आस्था की प्रतिक थी उषा-काल में तू तुलसी की पूजा किया करती थी तेरी अनुपम सूंदर वाणी से भोर हुआ करती थी तू अपने ही घर परिवार क

भावना नदी ...

15 सितम्बर 2024
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पृथ्वी पर असंख्य नदियां दरिया समंदर हैं गंगा है कावेरी है युमना है रावी है सिंधु है नील है फुरात है परन्तु ये दरिया ये नदियां ना डुबोती हैं ना मारती हैं ना ये ख़ौफ़नाक हैं

लहरों का आशिक़ ...

15 सितम्बर 2024
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लहरें तो मासूम , नाज़ुक , हसींन होती हैं वो भला कश्ती को क्या डूबोएंगी , उन का उछलना , कूदना , मचलना , बहकना यह तो , उन की मस्ती है उन का खेल है - कश्ती को डूबोने वाला तो कोई और है जो समंदर के भीतर र

स्री बुद्ध नहीं बन सकती -

15 सितम्बर 2024
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स्री बुद्ध नहीं बन सकती - /औरत बुद्ध नहीं बन सकती !! एक कट्टर धार्मिक समुदाय की ओर से एक घोषणा ../मेरी प्रतिक्रिया/परन्तु स्री को बुद्ध बनने की , बुद्ध होने की आवश्यकता क्

तुम ईश्वर की सूंदर रचना बन जाओगे ...

15 सितम्बर 2024
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स्थिर हो जाओ , उफनती - उठती गिरती लहरों को - नियंत्रण कर लो , मुस्कराओ , शांत हो जाओ , झील बन जाओ - कँवल के फूल खिलाओ , पक्षियों को निमंत्रण भेजो , मंद मंद बहती हवा को प्रेम से पुकारो , बच्चों

प्रेम की निर्मलता ..

14 सितम्बर 2024
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वफ़ा - निष्ठां - एतबार की ठोस मिट्टी से बना पर्वत , और इठलाती बलखाती नदी बह चली - दोनों ने कभी एक दूसरे से शिकायत नहीं की - बंधन में नह

एक रोटी की ललक -

14 सितम्बर 2024
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माँ चूल्हे पे रोटी नहीं पका सकी ,, बेटी भूख से तिलमिलाती स्कूल से आयी रसोई में बर्तन खाली पड़े थे बेटी छोटी थी स्कूल में रोटी नहीं थी उसे भूख बर्दाश्त नहीं थी मा

अनमोल हो जाता हूँ --

14 सितम्बर 2024
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मैं अलग हूँ पर ग़लत नहीं ,,मैं साधारण हूँ लेकिन तेरा हूँ ,,मेरी हस्ती की कोई बिसात नहीं ,,पर तुझ में जब मिल जाता हूँ अनमोल हो जाता हूँ .....

निष्पक्ष गुफ्तगू ...

13 सितम्बर 2024
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कभी आईने के सामने बैठ कर , खुद से गुफ्तगू की है ..संसार की सब से खूबसूरत और निष्पक्ष गुफ्तगू होगी ... ..

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