स्थिर हो जाओ , उफनती - उठती गिरती लहरों को - नियंत्रण कर लो , मुस्कराओ , शांत हो जाओ , झील बन जाओ - कँवल के फूल खिलाओ , पक्षियों को निमंत्रण भेजो , मंद मंद बहती हवा को प्रेम से पुकारो , बच्चों के साथ क्रीड़ा करो , सावन की बारिश में नृत्य करो , तन को मन को भीग जाने दो , आँखों से अश्रुधारा को बहने दो , अपने प्रेम को याद करो , गीत गाओ ...
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फिर संध्या के बाद - रूपवान चाँद गगन में जब उभरेगा , तब अपनी प्रतिच्छबि को - तुम्हारे भीतर देख कर , आश्चर्यचकित - अचम्भित हो जाएगा ..
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उसे भरम हो जाएगा की मैं सत्य हूँ या ये सत्य है .. बस वोही एक क्षण तुम्हारी स्थिरता , तुम्हारे मौन , तुम्हारे प्रेम , तुम्हारे संयम का पारितोष होगा - गगन का वो रूपवान चाँद , तुम्हारे भीतर उतर जाएगा , तुम आनंदित हो उठोगे , तुम्हारा नवीनीकरण हो जाएगा , तुम्हारा निवारण हो जाएगा , तुम चन्द्रमा की तरहाँ शीतल , उज्वल , चमकीले और मनमोहक हो जाओगे ..
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तुम चन्द्रमा बन जाओगे , तब सारा संसार तुम्हारा अवलोकन करेगा तुम्हे निहारेगा , तुम्हें नये वस्त्र मिलेंगे , फूल तुम्हें खुशबू देंगें - तुम ईश्वर की सूंदर रचना बन जाओगे ...
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कुमार ✍️