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ऐ नारी तू नास्तिक कैसे हो गयी ...

15 सितम्बर 2024

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ऐ नारी 
तू नास्तिक कैसे हो गयी 
तू तो आस्था की प्रतिक थी 
उषा-काल में 
तू तुलसी की 
पूजा किया करती थी 
तेरी अनुपम सूंदर वाणी से 
भोर हुआ करती थी 
तू अपने ही घर परिवार की 
संजीवनी थी 
तेरी ही अराधना से 
देवलोक में शंखनाद हुआ करता था - 
नारी , तू तो कल्याणी थी 
लक्ष्मी थी शक्ति थी 
तेरे ही अधरों से 
सुगम संगीत की धारा 
वातावरण को 
निर्मल किया करती थी - 
ऐ नारी तू नास्तिक कैसे हो गयी 
तू तो आस्था का प्रतिक थी ...

/
औरत के वस्त्र - औरत की मर्यादा और औरत की गुणता का प्रतिक है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने , नारी के सम्मान को - नारी की मर्यादा को सर्वोच्च सामाजिक कल्याण दर्शाया है / औरत की सुंदरता , औरत की निर्मलता , औरत की साधुता , औरत की पवित्रता केवल औरत के वस्त्र - मर्यादा में प्रदर्शित होते हैं औरत के वस्त्र ही औरत का आचरण है - औरत का अपना सम्मान self-respect - औरत की खुद की अपनी ज़िम्मेदारी है - औरत भूल रही है की उस का अस्वास्थ्यकर ( unhygienic ) आचरण , उस का फ़ैशनपरस्त अमर्यादित ज्ञान , उस का अंग प्रदर्शन - सम्पूर्ण समाज , परिवार , घर और देश की मर्यादा को भंग कर रहा है मेला कर रहा है ,, इस युग में औरत अपनी मर्यादा का उलंघन कर रही है वह समझती है की अंग प्रदर्शन , कम वस्त्र , स्पष्टवादिता , मेरे व्यक्तित्व के विकास और मेरी हस्ती का अधिकार है - किन्तु वे इस ज्ञान को , इस बात को भूल रही है - नज़रअंदाज़ कर रही है की ईश्वर ने और प्रकृति ने औरत को मानव जीवन का सब से ऊँचा स्थान प्रदान किया है और वे स्थानहै उस का 'माँ' स्वरुप होना , जब औरत माँ बनती है तब वह खुद ब खुद बुद्ध , ज्ञानी बन जाती है पालनहार बन जाती है प्रकृति बन जाती है - सत्य शिवम् सुंदरम हो जाती है ... 
/
किन्तु आज की नारी अपनी मर्यादा का उलंघन कर रही जिस का असर सीधा सीध समाज पर पड़ रहा है ...
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कुमार ✍️
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रचनाएँ
मेरा जीवनदर्शन - मेरे विचार - मेरा अनुभव ..
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अनुभव व्यक्ति के जीवन का एक बहुमूल्य खज़ाना होता है व्यक्ति जब किसी विपदा में , कष्ट में संकट में आता है तब व्यक्ति का ये खज़ाना उस के जीवन में काम आता है / अनुभव व्यक्ति के जीवन का स्वशक्ति - आत्म-सम्मान होता है किन्तु व्यक्ति जब भावनाओं में फंसता है तब व्यक्ति अपने अनुभवों को भूल जाता है ... / लेखक ने अपनी किताब , मेरा जीवनदर्शन - मेरे विचार - मेरा अनुभव , में जीवन के सभी पहलुओं को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने की कोशिश की है .. लेखक ने अपने अनुभवों को अपने विचार से अलंकृत किया है और अपना जीवनदर्शन बना कर पाठक गण के सामने प्रस्तुत किया है .. शेष किताब के हर लेख में पाठक गण को अनुभवों का इंदरधनुष देखने को पढ़ने को मिलेगा ... . . साभार :- लेखक - कुमार ठाकुर
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