लहरें तो मासूम , नाज़ुक , हसींन होती हैं वो भला कश्ती को क्या डूबोएंगी , उन का उछलना , कूदना , मचलना , बहकना यह तो , उन की मस्ती है उन का खेल है - कश्ती को डूबोने वाला तो कोई और है जो समंदर के भीतर रहता है जब उसे ये महसूस होता है और जब वो ये देखता है की कोई उस की लहरों को छेड़ रहा है उन्हें लज्जित कर रहा है तब वो तनिक भी देरी नहीं करता और छेड़ने वाले को तुरंत डुबो देता है - वो जो समंदर के भीतर रहता है जो लहरों का आशिक़ है ....
अनुभव व्यक्ति के जीवन का एक बहुमूल्य खज़ाना होता है व्यक्ति जब किसी विपदा में , कष्ट में संकट में आता है तब व्यक्ति का ये खज़ाना उस के जीवन में काम आता है
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अनुभव व्यक्ति के जीवन का स्वशक्ति - आत्म-सम्मान होता है किन्तु व्यक्ति जब भावनाओं में फंसता है तब व्यक्ति अपने अनुभवों को भूल जाता है ...
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लेखक ने अपनी किताब , मेरा जीवनदर्शन - मेरे विचार - मेरा अनुभव , में जीवन के सभी पहलुओं को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने की कोशिश की है ..
लेखक ने अपने अनुभवों को अपने विचार से अलंकृत किया है और अपना जीवनदर्शन बना कर पाठक गण के सामने प्रस्तुत किया है ..
शेष किताब के हर लेख में पाठक गण को अनुभवों का इंदरधनुष देखने को पढ़ने को मिलेगा ...
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साभार :-
लेखक - कुमार ठाकुर