अपनी आत्मा को ऋण और अपेक्षा से मुक्त करो :
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ज़िन्दगी का सब से बड़ा बोझ , दुःख , गम , कर्ज़ का होता है चाहे आप को पैसे की मदद ,किसी अपने ने दी हो , रिश्तेदार ने दी हो , दोस्त ने दी हो या आप की मोहब्बत ने आप के प्रेमी ने दी हो - मदद नाम की कोई चीज़ इस दुनिया में नहीं है जो कुछ भी है वो सिर्फ कर्ज़ है - यहाँ तक की जज़्बात , एहसास , ख़ुशी , मोहब्बत , ये भी एक कर्ज़ है - कर्ज़ किसी भी सूरत में हो उसे बड़े आदर के साथ वापस करना होता है -
और अपने दिल में ये फैसला करना होता है के मौत से पहले किसी का कोई कर्ज़ अपने ज़हन पर नहीं रखेंगे , सब कुछ क्लियर कर के ही इस दुनिया से रुक्सत होंगे , चाहे वक़्त लगे या ज़िन्दगी लग जाए , अगर रूह पर कोई हल्का सा भी बोझ होगा तो वो ऊपर अदम heaven तक नहीं जा पाएगी -
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दुनिया में रिश्ते क्यूँ टूटते हैं - ?
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रिश्ते टूटने की सिर्फ एक ही वजह है जब हम अपने किसी भी रिश्ते से ज़रुरत से ज्यादा की अपेक्षा Expectation रखनी शुरू कर देते हैं तब उसी एक पल में रिश्ता टूट जाता है क्यूँ की अपेक्षा ना पूरी होने की सूरत में हम दूसरी खतरनाक बातों में उलझ जाते हैं जैसे की - अधिकार , इंतज़ार , वफादारी , शक , चिड़चिड़ाहट , झुंझलाहट , पूछ-ताछ , लड़ाई और आखिर में रिश्ते का विभाजन यानी - separation , disconnection , partition ...
चाहे किसी भी रिश्ते में या मोहब्बत में साथ जीने मरने की हज़ारों कसमें , वफ़ा , वादे , किये हों - दोस्तों मैं यकीन के साथ कहता हूँ क़र्ज़ और अपेक्षा ( Debt & Expectation ) सभी कसमों को वादों को मोहब्बतों को एक लम्हे में तोड़ देती है ....
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इसलिए मैंने खुद से वादा किया है कि मैं किसी भी हालत में मरने से पहले अपना कर्ज और सभी उम्मीदें चुका दूंगा। जब मेरी आत्मा इस दुनिया से चली जाएगी तो मैं अपनी आत्मा पर सुई का भार भी नहीं रखूंगा ...
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कुमार ✍️