तुमको बुलाऊँगा कभी
तुमको बुलाऊंगा कभीफिर से जलाउंगा कभी_ अभी कफ़स में हूँ तेरे पर निकल जाऊंगा कभी_तेरे दर से गुजरा हूँकरीब आऊंगा कभी_ एक शख्स और हैं मुझमे आना मिलाऊंगा कभी_ये भी मालूम हैं मुझेजान से जाऊँगा कभी_ ईश्क गज़ल औ मैकदा (कुमार) यूँ तो मर जाऊंगा कभी_