राधे राधे सुरीली 🙏🏻 🌹 🙏🏻
कैसी हो? हाँ, हम तो सकुशल हैं। परिवार में भी ठाकुर जी की कृपा से सब ठीक है।
पता है क्या सुरीली, हम बहुत सोचते हैं कि हम भी कुछ संसारी बातें लिखें। कुछ ऐसा लिखें जो समाज में फैला हुआ है। पर पता नहीं क्यों, उस पर हमारी कलम चलती ही नहीं है। मूठ होकर बैठ जाती है। कहती है कि यदि ये ही सब लिखना था तो मुझे क्यों उठाया। मुझे उठाने का उद्देश्य क्या था?
अब बताओ सखी, कोई भी जब एक लेखक के तौर पर कलम उठाता है तो उसका मुख्य उद्देश्य क्या होना चाहिए?
बिल्कुल सही कहा तुमने सुरीली, एक लेखक का यही उद्देश्य होना चाहिए। मनोरंजन करते हुए समाज को एक सकारात्मक दिशा दिखाना। क्योंकि ये समाज लेखक की कलम के माध्यम से ही अपनी दिशा निर्धारित करता है। वो पहले पढता है और फिर अपने मन से तर्क करता है। फिर कलम के जिस चरित्र से वो सबसे ज्यादा प्रभावित होता है, उसी राह पर चलने लगता है।
सही कहा सुरीली, हर पाठक किसी भी कहानी का विश्लेषण अपने ही तर्कों पर करता है। किन्तु किसी - किसी लेखक का लेखन इतना प्रभावशाली होता है कि जो लेखक कहना चाहता है, पाठक बिल्कुल वैसे ही करता है। इसलिये लेखक का उत्तरदायित्व भी बढ़ जाता है इस समाज के प्रति। उसे हमेशा वही लिखना चाहिये जो सही हो और सकारात्मक सन्देश देता हो। जिससे युवा भटके ना। यदि लेखक अपनी कहानी के नायक को शराब आदि सामान्य रूप से लेते हुए दिखाता है तो पाठक सबसे पहले यही सोचेगा कि यदि ये नायक ये काम कर रहा है तो इसमें कोई बुराई नहीं है। पर क्या सचमुच.... 🤔
सुरीली, तनिक विचार करो। हालाँकि हम ये मानते हैं कि हर किसी में कोई न कोई कमी होती है। परन्तु कुछ कमियाँ इतनी खतरनाक होती हैं, वो उस मनुष्य की सारी अच्छाई को ढक लेती है। इसलिये एक लेखक को चाहिये कि वो एक ऐसा कथानक लिखे जिससे हमारा समाज एक उन्नत राह पर चले। उसकी रचनाओं को पढते समय चेहरे पर तरह तरह के भाव आते रहे पर मन में भाव सकारात्मक हों। शब्दों में इतनी शालीनता और पवित्रता हो कि पढते समय नजरें ना झुकानी पडें।
नहीं सुरीली, इसका ये अर्थ कदापि नहीं है कि लेखक विषय के साथ समझौता करे। यदि कोई लेखक समाज के घिनौने चेहरे को उजागर करने के उद्देश्य से कुछ लिखता है तो उसे उन शब्दों के चयन में कंजूसी नहीं करनी चाहिए। किन्तु हर कथानक में एक ही विषय तो नहीं डाला जा सकता ना। मान लो किसी कथानक में नायक नायिका बिछुड़ जाते हैं, तो उनके बिछुड़ने का कारण कोई दुर्घटना हो सकती है। कुछ गलतफहमी हो सकती है। बिना किसी कारण के समाज में बदनामी हो सकती है। या फिर परिवार में ही कुछ ऐसी घटना का घटना हो सकता है जिससे नायक या नायिका को बिना बताये ही कहीं जाना पड़ जाये। कुछ भी ऐसा हो सकता है। समाज प्राकृतिक और अप्राकृतिक कारणों से भरा पड़ा है।
अरे सुरीली, बारह बजने को आये। हम तो बोलते ही जा रहे हैं। देखो तुम्हें भी नींद आने लगी। चलो, सो जाओ। हम भी सोते हैं।
राधे राधे 🙏🏻🌷🙏🏻
तुम्हारी सखी
राधा श्री