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लफ़्ज़ (कविता)

7 नवम्बर 2023

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अटक से गए है
कुछ लफ़्ज़
तुम्हारे हलक से निकले

दिल ने
अबतक जो कि सुन न पाया

इन्हें ठहरनें देना
अपने सुर्ख लबों पर

इन्हें कभी
न करना विरामाधीन

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तुम्हारे हर्फ़
लिपटें हुए ख़ामोशी में

सुकून देते है बेहद
दिल को,
इश्क़ के आगाज़ में....!!!!

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