अटक से गए है
कुछ लफ़्ज़
तुम्हारे हलक से निकले
दिल ने
अबतक जो कि सुन न पाया
इन्हें ठहरनें देना
अपने सुर्ख लबों पर
इन्हें कभी
न करना विरामाधीन
तुम्हारे हर्फ़
लिपटें हुए ख़ामोशी में
सुकून देते है बेहद
दिल को,
इश्क़ के आगाज़ में....!!!!
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