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लघु कथा

13 नवम्बर 2021

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(पुण्य प्राप्ति)🌸


 एक सुबह , कोहरे भरी  ठिठुरती ठंड मे,  सुनीता ने , अपनी सास जी को उनकी मन पसंद आलू प्याज़ की कचौड़िया , हींग जीरे वाला बथुए का रायता , लाल मिर्च का अचार  और साथ मे गरमागरम चाय का गिलास जब नाश्ते मे दिया , तो अपनी पसंददीदा जायकेदार कचौड़ियाँ खाकर मीनादेवी स्वाद के चटकारे लेने लगीं और सुनीता की तारीफ करते हुए बोली , "वाह ! सुनीता तुम्हारे हाथ की कचौड़ियों का तो जवाब ही नही है । सच मे , मज़ा आ जाता है खाकर । पेट भर गया मगर मन नही भरा "।  सास जी से तारीफ पाकर , सुनीता भी फूली न समा रही थी मुस्कुराते हुए बोली " आप जी भरकर खायें रायते से सब जल्दी हजम हो जाएगा "। 


न बाबा न "अब बिल्कुल भी नहीं  खा पाउंगी" और  यह कहकर पलंग पर लेट गयी,  फिर कुछ  सोचकर बोलीं ..... देखो बेटा,  आज हम तुमसे एक बात कहना चाहते हैं , तुम्हे जो कुछ  भी खिलाना पिलाना है हमें ,हमारे  जीतेजी खिला पिला दो और हमारे जाने के बाद चाहें हमारा श्राद्ध मत करना । लोग इंसान के जाने के बाद , तो उसके नाम से बड़ा दान पुण्य करते हैं, खाना बांटते हैं पूजा अर्चना करते हैं ताकि जाने वाले कि आत्मा को शांति मिल सके और उन्हें पुण्य की प्राप्ति हो सके , मगर उनके जीतेजी उनकी सही से देखभाल न करके उनकी आत्मा को तड़पाते हैं । जबकि हर इंसान को बड़ो के जीतेजी , उनकी सेवा कर आत्मा तृप्ति का सफल प्रयास करना चाहिए, न कि उनके जाने के बाद दिखावटी अनुष्ठानों से आत्मा तृप्ति का असफल प्रयास करना चाहिए ।


सुनीता ने माजी की बातों को बड़े ही धयान से सुना और बोली माँ जी , मैं आपकी बातों का सार समझ गयी ....  मैं इस पर अमल जरूर करूँगी ।। 


रुपाली सिंह

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