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*तू खुश्बू की तरह बस महकती रहे,,,**गुल बनकर बनकर मैं खिलता रहूँ|**तुम छुप -छुपकर मुझसे मिला करो* *मैं छुप-छुपकर तुमसे मिलता रहूँ|*
*कुदरती यह कमाल, बेमिसाल हो रहा है*बिना कोई बात यह दिल बादलों -सा रो रहा है |*मेरा दिल, ज़िद करके मुझसे पूछ बैठा है आज*क्या इश्क़ का मारा है,जो इतने दिन से रो रहा है|
मैं इंतज़ार में हूँ तू कुछ तो कहेगीजो भी कहेगी बस सच ही कहेगी||लोकेश कुमार रजनीश